आउटसोर्स कर्मचारियों के ऊपर संकट के बादल पूर्व DEO ने किया था नियुक्त वर्तमान ने किया बाहर जाने क्या है पूरा मामला
आउटसोर्स कर्मचारियों के ऊपर संकट के बादल DEO ने किया था नियुक्त वर्तमान ने किया बाहर जाने क्या है पूरा मामला।
सीधी। जिले के शिक्षा विभाग में कम्प्यूटर आपरेटर के रिक्त पदों की पूर्ति के लिए गत वर्ष राज्य सरकार से रजिस्टर्ड एमपी कॉन कम्पनी के माध्यम से जिले में आधा सैकड़ा आपरेटरों की भर्ती की गई थी। जिसे अब बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। बताया गया है कि एमपी कॉन कम्पनी के माध्यम से डीईओ कार्यालय सहित स्कूलों में पदस्थ किये गए आउटशोर्स कम्प्यूटर आपरेटरों को प्रभारी डीईओ प्रेमलाल मिश्रा ने बहाना बनाकर सेवा से पृथक करने का आदेश जारी किया है। हलाकि इस आदेश में विशंगति है कारण कि आउटसोर्स के ही आधे से अधिक कर्मचारियों को बाहर किया जा रहा है वहीं इसी कम्पनी के कुछ लोगों को अभी सेवा में रखा गया है निष्कासित कर्मचारियों का आरोप है कि लेनदेन के अभाव में उन्हे बाहर किया जा रहा है। जबकि जिन आउटसोर्स कर्मचारियों द्वारा डीईओ व उनके मातहतों की मांगे पूरी कर दी गई है उन्हे सेवारत किया गया है। ऐसे में डीईओ का यह पत्र सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।
एमपीकॉन कम्पनी का आदेश
राज्य शासन से अनुबंध प्राप्त संस्था एमपी कान लिमिटेड कम्पनी के द्वारा प्रदेश भर में शासकीय दफ्तरों में रिक्त पदों की पूर्ती के लिए योग्यतानुसार नियुक्त किया जा रहा है। इसी उद्देश्य से जिले के शिक्षा विभाग में डीईओ कार्यालय सहित विभिन्न विद्यालयों में रिक्त पड़े कम्प्यूटर आपरेटरों की भर्ती के संबंध में आदेश जारी किया गया था, जिसके तहत जिले के आधा सैकड़ा के करीब योग्य बेरोजगार युवकों ने आवेदन कर यह नौकरी हांसिल की थी। बावजूद इसके डीईओ कार्यालय द्वारा आउटसोर्स के कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।
डीईओ के पत्र पर संचालक की मुहर
एमपीकान के माध्यम से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय सहित विभिन्न विद्यालयों में उपलब्ध कराये गए अस्थाई डाटा इंट्री आपरेटरों को अमान्य का दर्जा देते हुए जिला शिक्षा अधिकारी ने लोक शिक्षण संचालनालय मध्यप्रदेश भोपाल को पत्र लिखकर सेवा से पृथक करने की अनुमति चाही गई थी जिस पर संचालक केके द्विवेदी ने समिति द्वारा मान्य किये गए आपरेटरों को छोड़ शेष को अमान्य करने का निर्णय पारित किया है। ऐसे में यह कहा जा रहा है जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा लोक शिक्षण संचालनालय को भी गुमराह कर जानकारी भेजी गई जिसके चलते आधा सैकड़ा के करीब बेरोजगार युवक रोजगार से वंचित हो गए है।
22 को किसने दिया योग्यता का प्रमाण पत्र
एमपीकान कम्पनी के माध्यम से नियुक्त किये गए 50 कम्प्यूटर आपरेटरों में 28 को जहां बाहर का रास्ता दिखाया गया है वहीं 22 इन्ही कर्मचारियों को मान्य कर सेवारत रखा गया है। डीईओ के इस पत्र पर यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर इन 22 कम्प्यूटर आपरेटरों को प्रशिक्षण कहां से मिला और किसने इन्हे योग्य घोषित किया। अगर डिग्री बात की जाय तो कम्प्यूटर आपरेटर की जो आहर्तायें बैध है उन्ही आहर्ताओं के आधार पर कम्पनी द्वारा इन्हे भी नियुक्त किया गया था। फिर इनके भीतर कौन सी कमी देखी गई जिसके चलते उन्हे बाहर किया जा रहा है।
6 माह से नही मिली वेतन
जिले के विभिन्न विद्यालयों में बतौर आउटसोर्स कर्मचारी डाटा इंट्री आपरेटर सेवारत रहे करीब 3 दर्जन कर्मचारियों से शिक्षा विभाग ने कार्य तो ले लिया लेकिन उन्हे आज तक पारिश्रमिक नही दी गई। पीड़ित आउटसोर्स कर्मचारियों ने बताया कि बीते 6 माह से हम लोगों से विद्यालय प्रमुखों द्वारा कार्य लिया गया लेकिन जब भुगतान की मांग की गई तो डीईओ कार्यालय एवं कम्पनी का बहाना बताकर टाल मटोल कर रहे है। पीड़ित कर्मचारियों ने कलेक्टर से इस ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए वेतन भुगतान के साथ सेवा बहाल करने की मांग की है।
नही है प्रशिक्षण का कोई प्रावधान
तत्कालीन डीईओ पवन सिंह से जब इस संबंध में पीड़ित आउटसोर्स कर्मचारियों ने चर्चा की तो उन्होने बताया कि प्रशिक्षण संबंधित हमारे पास कोई पत्र नही आया था, जिसके चलते परीक्षा अथवा प्रशिक्षण का कोई सवाल ही नही उठता। हैरानी की बात यह है कि नियुक्तीकर्ता अधिकारी तत्कालीन डीईओ इस बात को नकार रहे है कि प्रशिक्षण अथवा परीक्षा का कोई आदेश नही मिला है तो फिर ऐसे में अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि इन्हे किसके कहने पर अमान्य कर बाहर का रास्ता दिखाया गया है।