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डॉक्टर की गलती से 6 लोगो ने खोई अपनी आंखो की ज्योति जाने क्या है पूरा मामला

ऑपरेशन के 6 घंटे में ही भेज दिया था घर बुजुर्ग बोले पहले दिखता था अब बिल्कुल ही दिखना बंद हो गया सिर दर्द से फटा जा रहा है 

कानपुर में बर्रा स्थित आराध्या आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 6 बुजुर्गों की आंखों की रोशनी पूरी तरह चली गई। सांसद मिश्रिख और सीएमओ से शिकायत के बाद हड़कंप मचा तो आनन-फानन हॉस्पिटल का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया गया। अब डॉक्टर पर एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी है।

कदम-कदम पर लापरवाही आई सामने

शिवराजपुर सीएचसी प्रभारी डा. अनुज दीक्षित ने जांच शुरू की तो सभी पीड़ितों ने बातचीत में बताया कि ऑपरेशन के 6 घंटे के भीतर ही घर भेज दिया गया था। जबकि नियमत: कम से कम 12 घंटे तक मरीज को निगरानी में हॉस्पिटल में ही रखा जाता है। यही नहीं 2 नवंबर की शाम को ही पट्‌टी भी खोल दी गई 

बुजुर्ग बोले सिर दर्द से फटा जा रहा है

आंखों की रोशनी गंवाने वाले बुजुर्ग राजाराम कुरील ने बताया कि आंखों से लेकर आधा सिर दर्द से फटा जा रहा है। पूरी असहनीय पीड़ा हो रही है। कोई सुनने और देखने वाला नहीं है। आंखों से दिखना भी पूरी तरह बंद हो गया है। रोशनी देने वाले डॉक्टर ने ही आंखों की रोशनी छीन ली। 

आज एक्सपर्ट करेंगे जांच

डा. अनुज ने बताया कि आज जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग में सभी 6 बुजुर्गों की आंखों का चेकअप कराया जाएगा। आई कैंप में 18 लोगों को ऑपरेशन एक ही दिन में हुआ था। अन्य 12 लोगों की आंखें ऑपरेशन के बाद बिल्कुल ठीक हैं। एक्सपर्ट के देखने के बाद आज पता चलेगा कि आखिर लापरवाही कहां हुईं।

शिकायत लेकर 13 दिन भटकते रहे बुजुर्ग

आराध्या नर्सिंग होम के आई कैम्प में आंख गंवाने वाले बुजुर्ग 13 दिन भटकते रहे। लेकिन डॉक्टर और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उन्हें केवल आश्वासन देते रहे। आपरेशन करने वाले डॉक्टर तक उन्हें टरकाते रहे। 

1 हजार रुपए जमा कराए

पीड़ितों ने कहा कि बीती 2 नवम्बर को वीरामऊ में नेत्र रोगों की जांच का कैम्प लगा था। यहां उत्तरी के रहने वाले दुर्गेश शुक्ल रिक्शे से सुघरदेवा गांव के बुजुर्ग राजाराम कुरील (70) , रमेश कश्यप (63), नन्हीं देवी (63), सुल्ताना देवी (75), रमादेवी (67), शेर सिंह (72) को कैम्प में ले गए। यहां पर चेकअप कर बताया गया कि उनकी एक आंख का मोतियाबिंद पक गया है और सभी लोग 1000 रुपये जमा कर कानपुर चलने के लिए तैयार हो जाएं। 

दोबारा फिर लिए दो-दो सौ रुपए

दुर्गेश सभी को 2 नवम्बर की दोपहर एम्बुलेंस से कानपुर के आराध्या आई हॉस्पिटल ले आए। यहां दो घंटे इंतजार के बाद डॉ. नीरज गुप्ता और डॉ. अंशुल पांडेय ने सभी का आपरेशन कर शाम को गांव भेज दिया। भेजने से पहले एक हफ्ते के बाद चेकअप के लिए आने को कहा।

8 नवंबर से सभी छह बुजुर्गों की आंखों में खुजली और दर्द होने लगा। 9 को बढ़ा तो परिजनों ने दुर्गेश से सम्पर्क किया। उसने 200-200 रुपये लेकर आराध्या हॉस्पिटल में 13 नवम्बर को डॉ. गुप्ता से चेकअप कराया और दवा देकर फिर गांव रवाना कर दिया। 

चौबेपुर में कराई जांच तो खुली पोल

आंख गंवाने वाले बुजुर्ग 17 नवम्बर को प्रधानपति हरपाल सिंह चंदेल से मिले। मामला गंभीर देख प्रधानपति पीड़ित बुजुर्गों को लेकर अगले दिन शंकरा नेत्र चिकित्सालय चौबेपुर लाए।

चेकअप के बाद डॉक्टरों ने बताया कि मोतियाबिंद वाली आंखों में संक्रमण फैल गया है और आपरेशन फेल हो गया। सभी की आंख की रोशनी चली गई है। इसके बाद सभी मिश्रिख सांसद अशोक रावत से मिले। सांसद से सीएमओ से शिकायत की तो पूरा मामला खुला। 

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