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पानी की इतनी किल्लत की रेत से लदे हाईवा से गिरने वाले पानी को छानकर पीते हैं ग्रामीण

करोड़ों रुपए की लागत से सिहावल विधानसभा क्षेत्र में कई पानी की टंकी या बना दी गई हैं परंतु ग्रामीणों को पानी के लिए अभी भी तरसना पड़ रहा है ऐसा एक दो नहीं बल्कि कई गांव हैं जहां पर लोग करोड़ों रुपए की पानी टंकी के निर्माण के बावजूद भी पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं और इस गर्मी में काफी परेशान हैं वही जिम्मेदार एसी में बैठ कर आराम फरमा रहे हैं हाल ही में प्रभारी मंत्री मीणा सीधी सीधी आई थी और उन्होंने भी नल जल योजना पर विशेष जोर दिया था किंतु उनका प्रयास भी असफल रहा।

अब हम बात करेंगे सीधी जिले के सिहावल विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम हरदी मूड़ा पहाड़ की जहां पर आजादी के बाद से आज तक ग्रामीण पानी जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं और 3 किलोमीटर दूरी तय कर इस भीषण गर्मी में सिर पर पानी का डब्बा लादकर पानी लाते हैं।

पानी की इतनी किल्लत की रेत से लदे हाईवा से गिरने वाले पानी को छानकर पीते हैं ग्रामीण

रेत से लदे हाईवा से गिरने वाले पानी को छानकर की पीते हैं ग्रामीण:- ग्राम हरदी मूड़ा पहाड़ पर बने भगवान भोलेनाथ के मंदिर के पुजारी रामजी गौतम बताते हैं कि यहां पर भगवान को स्नान कराने तक के लिए पानी नहीं है जो जान जोखिम में डालकर पहाड़ के 300 फिट नीचे से प्रतिदिन पानी लेकर ऊपर आना जाना पड़ता है। तथा यहां पर रोजमर्रा की जिंदगी के लिए रेत से लदे हाईवा को ग्रामीण रोककर उससे गिरने वाले पानी को बाल्टी में भरते हैं इसके बाद उसको छानकर पीते हैं तथा अन्य उपयोग में लाते हैं।

पानी की इतनी किल्लत की रेत से लदे हाईवा से गिरने वाले पानी को छानकर पीते हैं ग्रामीण

सिहावल विधायक का आश्वासन गया बेकार: – विगत माह सिहावल विधायक कमलेश्वर पटेल के द्वारा मीडिया से बातचीत के दौरान यह कहा गया था कि मूड़ा पहाड़ पर पानी की उपलब्धता मैं जल्द ही सुनिश्चित करूंगा किंतु आज दिनांक तक ग्रामीणों की पानी की समस्या दूर नहीं हो सकी।

पानी की इतनी किल्लत की रेत से लदे हाईवा से गिरने वाले पानी को छानकर पीते हैं ग्रामीण

हैंडपंप उगल रहे हवा: – मंदिर के पास दो हैंडपंप का खनन कई वर्ष पूर्व कराया गया था लेकिन अब वह कई वर्षों से सिर्फ हवा उगल रहा है जबकि ग्रामीणों द्वारा एवं मीडिया के माध्यम से विभाग को भी सूचित किया गया था किंतु अभी भी ग्रामीण हैंडपंप की मरम्मत के लिए संबंधित विभाग की बाट जोह रहे हैं।

पहेली बन कर रह गई है ग्रामीणों की आस: – ग्रामीणों ने बताया है कि इस जगह को सभी प्रतिनिधि पहेली समझ कर सुलझाने के लिए तो कहते हैं लेकिन सुलझाने में नाकाम साबित होते हैं तथा हमारी समस्या जस की तस अभी भी बनी हुई है।

 

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