मध्य प्रदेश में एक मई से मरीजों और उनके परिजनों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, दरअसल राज्य के मेडिकल फेडरेशन के करीब 10 हजार डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया है. यह फैसला मेडिकल एसोसिएशन की आमसभा में सर्वसम्मति से लिया गया।
उच्च स्तरीय समिति की बैठक का फैसला पारित नहीं होने से नाराज चिकित्सक एक मई से सभी चिकित्सा कार्य बंद कर हड़ताल पर चले जायेंगे.
बनी रणनीति इंदौर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज हॉल में रविवार को शासकीय स्वास्थ्य चिकित्सक महासंघ के आह्वान पर सभी 52 जिला अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज के लगभग 110 प्रतिनिधियों ने व्यक्तिगत रूप से तथा 70 ने ऑनलाइन भाग लिया. महासंघ। रिपोर्ट आदेश जारी करने में सरकारी अधिकारियों द्वारा निष्क्रियता और कर्तव्य की अवहेलना के कारण यह निर्णय मजबूर किया गया था। दरअसल, 17 फरवरी को गठित उच्च स्तरीय समिति को एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपनी थी, जिसके बाद उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट पर त्वरित शासन का आदेश जारी करने का आंदोलन ठंडे बस्ते में चला गया. लेकिन 2 माह बीत जाने के बाद भी उच्च स्तरीय समिति के निर्णय के बावजूद अभी तक डीएसीपी एवं अन्य लंबित विभागीय आदेश जारी नहीं किये गये जिसके बाद सरकार को फेडरेशन की रिपोर्ट को लागू करने के लिए 2 माह बाद 2 सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया गया. फैसला हो गया है। डॉक्टरों ने वादा किए गए स्मरण दिवस समारोह के दौरान 17 अप्रैल से हर दिन प्रशासन को चिकित्सा कार्य रोक आंदोलन की तारीख की गिनती करने का फैसला किया है। इसके बाद एक मई से सख्त इलाज बंद करने का आंदोलन फिर से नए रूप में आयोजित किया जाएगा। 3 मई से लगातार- सभी चिकित्सा कार्य बंद, टेंट और माइक्रोफोन के साथ कार्यस्थलों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.