कटु सत्यो एवम जीवन के मूल्यों पर आधारित प्रचलित कवि अमन द्विवेदी की कविता *सत्य कहां तक है*

कटु सत्यो एवम जीवन के मूल्यों पर आधारित प्रचलित कवि अमन द्विवेदी की कविता *सत्य कहां तक है*।

कवि अमन द्विवेदी की रचना सत्य कहां तक है अपने शब्दों में बड़ा सार समाहित किए हुए है जहां यहां संसार सत्य से कहीं दूर जा रहा है उसे ही खोजने की बात कही गई है । पूरी रचना पढ़े –

ये जग ये कीर्ति ये यश

कहां तक है

नादान क्यों घूम रहे

चारो ओर ही

खोए हो इस भौतिक

जग की लुभावने दृश्य में

फिर भी जरा देखो तो

सत्य कहां तक है

अवशेष के साथ भौतिक चीजे

नही जानी है

रहना तो केवल सत्य को है

कभी जरा सोचा करो

भौतिक जग की वस्तुओं को

छोड़ मन के बंद

कपाट खोला करो

जरा देखा करो

सत्य कहां तक है ।

नादान बन कर रहना

किस अर्थ में है

सत्य को जानकर

या असत्य को मानकर

जरा कभी देखा करो

सत्य कहां तक है।

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