अगर आप हमेशा से यही सोचते हैं कि गाय को भारत में ही मां का दर्जा दिया जाता है और मां के रूप में माना जाता है तो आप गलत सोचते हैं क्योंकि दुनिया में एक ऐसा देश का समाज है जहां गाय के लिए जान ले भी लेते हैं और जान दे भी देते हैं गाय के गोमूत्र गोबर को अपना धन मानते हैं गाय के साथ पूरा जीवन बिता देते हैं। तो आइए जानते हैं वह ऐसा कौन सा समाज है जो आज भी गाय को अपनी जिंदगी में अति महत्वपूर्ण मानते हैं। अफ्रीका के सूडान में मुंदरी समाज के लोगों का जीवन गायों के इर्द-गिर्द ही बीतता है। गाय के दूध गोबर मूत्र को सबसे बड़ा धन मानते हैं और गाय के लिए जान ले भी सकते हैं और जान दे भी सकते हैं
अफ्रीका में रहने वाली जनजातियों के जीवन में गाय को महत्वपूर्ण माना गया है यह गाय के लिए जान ले भी सकते हैं और जान दे भी सकते हैं अफ्रीका के सूडान में मुदरी समाज के लोगों का आज भी लगाव गाय के लिए चौका देने वाला है। मुंदरी समाज के लोग एक स्थान पर ज्यादा दिन तक नहीं रुकते, उनका स्थान समय दर समय बदलता रहता है। वह गाय को सबसे बड़ा धन मानते हैं यहां तक की कोई भी रीति रिवाज शादी विवाह के कार्य में गाय को भी दहेज के रूप में लेते और देते हैं बल्कि यू कहलेे उनका चलता फिरता गाय एक धन माना जाता है। उनका पूरा जीवन गाय की रक्षा और गाय से ही अपना पूरा जीवन भरण-पोषण करते हैं
मुंदरी दक्षिण अफ्रीका का एक छोटा सा जनजाति है। मुंदरी आदिवासी का मुख्य भूमि दक्षिण सूडान की राजधानी जुबा से लगभग 75 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। इनका पूरा जीवन गाय और मवेशियों की देखरेख एवं चरवाह में बीतता है। इनकी भाषा में गाय को अंकोले वातुसी कहते है। आमतौर पर जिसके पास सबसे ज्यादा धन वह सबसे ज्यादा अमीर माना जाता है पर मुंदरी समाज एक ऐसा समाज है जिसके पास ज्यादा गाय है वह सबसे ज्यादा धनी माना जाता है मुंदरी जनजाति के लिए उनके जानवर, विषेशकर गाय ही सब कुछ हैं। मुंदरी गायों की हत्या को सबसे बड़ा पाप मानते हैं। इस कारण शायद ही कभी इस समुदाय में गायों की हत्या हुई है। ये जानवर मुंदरी के लिए एक स्टेटस सिंबल हैं। वे दहेज के रूप में भी इनका इस्तेमाल करते हैं। मुंदरी अपने गायों की रक्षा के लिए अपनी जान भी देते हैं और दूसरे की जान ले भी लेते हैं। इस समुदाय में बच्चे और बड़े दोनों गायों की देखभाल करते हैं। इन लोगों के लिए गायें ही सबकुछ है। ये लोग गायों को गर्मी से बचाने के लिए एक विशेष प्रकार की भभूत लगाते हैं, गायों को पानी पिलाने के लिए तरह-तरह के जतन करते हैं, गायों को किसी भी प्रकार की चोट ना पहुंचे इसलिए रात में उनकी चौकीदारी करते हैं ताकि जंगली जानवर उनका शिकार ना कर पाएं। मुंडारी जनजाति गायों के दूध के साथ-साथ उसका मूत्र का भी सेवन करते हैं। उनका यह मानना है कि गौमूत्र उनको गंदगी से दूर रखता है। इस जनजाति का गायों से प्रेम बहुत गहरा है। गायों के लिए ये अपना पूरा जीवन समर्पित करते हैं।
इसी दिशा में दुनिया में एक ऐसा देश है जहां गाय को गौ माता कहा जाता है ये सूडान के manduri जनजात से भी ज्यादा गाय को माना जाता है। पर यहां गाय की स्थिति काफी खराब नजर आती है जहां गायों की निर्मम हत्या गायों के लिए सरकारी योजनाएं बनाना जरूर पर उन योजनाओं पर अमल ना करना तथा लोगों की लापरवाही से भारत में गाय की हत्याएं हो रही है। जहां एक तरफ हिंदुस्तान के बड़े शास्त्रों में गाय का उल्लेख किया हो पर वही माना जाता हो पर मुंदरी समाज के लोग ना किसी धर्म को मानते हैं ना जात को बस जो गाय की अच्छी सेवा और देखभाल कर सके वही मुंदरी समाज का सबसे बड़ा राजा माना जाता है