गोली खाकर “एक के मुंह से निकला राम’ दूसरे के मुंह से निकला माओ “तीसरे के मुंह से निकला आलू पोस्टमार्टम की रिपोर्ट पहले दो लोगों का पेट भरा हुआ था तो पहले का क्या हुआ झकझोर देने वाली रचना

(Sarveshwar Dayal saksena) (15 सितंबर 1927 – २३ सितंबर 1983 नई दिल्ली) हिन्दी कवि एवं साहित्यकार थे। जब उन्होंने दिनमान का कार्यभार संभाला तब समकालीन पत्रकारिता के समक्ष उपस्थित चुनौतियों को समझा और सामाजिक चेतना जगाने में अपना अनुकरणीय योगदान दिया। सर्वेश्वर मानते थे कि जिस देश के पास समृद्ध बाल साहित्य नहीं है, उसका भविष्य उज्ज्वल नहीं रह सकता। सर्वेश्वर की यह अग्रगामी सोच उन्हें एक बाल पत्रिका के सम्पादक के नाते प्रतिष्ठित और सम्मानित करती है। इनकी एक रचना बहुत ही सुर्खियां बटोरी और अब भी बटोर रही। गोली खाकर एक के मुंह से निकला ,राम दूसरे के मुंह से निकला माओ, तीसरे के मुंह से निकला आलू, पोस्टमार्टम की रिपोर्ट है कि पहले दो के पेट भरे हुए थे। इस रचना ने सबको सोच में डाल दिया । ये वो रचना जो लोग खोज में कर रहे की पहले का क्या हुआ। अगर आपको पता है तो कमेंट करें

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

1. तीसरा सप्तक – सं. अज्ञेय, 1959

2. काठ की घंटियां – 1959

3. बांस का पुल – 1963

4. एक सूनी नाव – 1966

5. गर्म हवाएं – 1966

6. कुआनो नदी – 1973

7. जंगल का दर्द – 1976

8. खूंटियों पर टंगे लोग – 1982

9. क्या कह कर पुकारूं – प्रेम कविताएं

10. कविताएं (1)

11. कविताएं (2)

12. कोई मेरे साथ चले

13. मेघ आये

14 . काला कोयल

 

 

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