बाघ आकलन-2022 में हालांकि राज्यवार बाघ गणना रिपोर्ट को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है लेकिन प्रदेश के वनाधिकारी बताते हैं कि पिछली गणना 526 के मुकाबले इस बार मप्र में 711 बाघ गिने गए हैं।
देश में बढ़े बाघों की संख्या में मध्य प्रदेश में बढ़े बाघों की हिस्सेदारी सर्वाधिक है। पिछली गणना में 524 बाघों के साथ दूसरे नंबर पर कर्नाटक था यद्यपि यह अंतिम आंकड़े नहीं हैं, इसलिए दावा नहीं किया जा सकता फिर भी वनाधिकारी आश्वस्त हैं कि मध्य प्रदेश का टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रहेगा। इसे बाघ संरक्षण परियोजना के उत्कृष्ट नमूने के तौर पर प्रस्तुत किया जाने लगा है।
अंतर आ सकता है आंकड़ों में
वनाधिकारी बताते हैं कि अभी वैज्ञानिक पद्धति से परीक्षण के बाद जारी होने वाले आंकड़ों में अंतर आ सकता है। प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों में भी 15 प्रतिशत तक बाघ बढ़ने के प्रमाण मिले हैं। मप्र में बाघों का यह आंकड़ा देश में सर्वाधिक होने की उम्मीद को इससे भी बल मिलता है।
नवंबर 2021 से अप्रैल 2022 तक देशभर में बाघों की गणना हुई थी
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की निगरानी में नवंबर 2021 से अप्रैल 2022 तक देशभर में बाघों की गिनती कराई गई थी। मध्य प्रदेश में यह गिनती अक्टूबर 2022 तक चली थी। दरअसल, यहां 8852 बीटों में गिनती होनी थी, जो देश में सबसे ज्यादा हैं। इसके लिए 30 हजार कर्मचारी लगाए गए। वहीं बाघ संभावित क्षेत्रों में पांच हजार ट्रैप कैमरों को चार बार में लगाकर गिनती कराई गई।
उल्लेखनीय है कि देश में 3167 बाघ होने का आंकड़ा उन बाघों का है, जिनके फोटो ट्रैप कैमरे से लिए गए हैं। ट्रांजिट लाइन खींचकर गिने गए बाघों का आंकड़ा इसमें शामिल नहीं है। इससे आंकड़ों में अभी फेरबदल होगा।