मध्यप्रदेशराजनीति

मध्य प्रदेश की अनोखी लोकसभा सीट, 14 बार के चुनाव में 13 बार कांग्रेस को मिला ताज, अपनो के बगावत से बिखरी पार्टी

Chhindwara loksabha seat: मध्य प्रदेश में कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली छिंदवाड़ा सीट पर इस बार कुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है

ऐसा इसलिए क्योंकि प्रतिदिन यहां कांग्रेस छोड़कर कई दिग्गज नेता भाजपा में जा रहे हैं. आपको बता दें 1991 में अस्तित्व में आई छिंदवाड़ा सीट मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से महज एक सीट नहीं बल्कि कांग्रेस का गढ़ है

यहां 1971 से 2019 तक 14 बार लोकसभा चुनाव में 13 बार यहां कांग्रेस जीती, जबकि 1980 से लेकर 2019 तक यहां सिर्फ नाथ परिवार का ही दबदबा बरकरार रहा और कमलनाथ उनकी पत्नी अलका नाथ और बेटे नकुलनाथ यहां से हर बार सांसद चुने गए

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1991 से 2019 तक 13 बार मिली जीत

कांग्रेस का गढ़ कहीं जाने वाली छिंदवाड़ा लोकसभा सीट में नाथ परिवार का दबदबा कई वर्षों से बरकरार है. यही एक ऐसी सीट है जो भाजपा को कमजोर करती है

लेकिन इस बार भाजपा यहां का किला भेदने में अब तक मजबूत दिख रही. क्योंकि कांग्रेस के कई दिग्गज भाजपा का दामन थाम चुके है,

आपको बता दे 1991 में अस्तित्व में आई छिंदवाड़ा लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ कहीं जाती है. 1971 से 2019 तक 14 बार चुनाव हुए. जिसमे कांग्रेस 13 बार जीत कर राज की

70 सालो से कांग्रेस का छिंदवाड़ा में दबदबा

वर्ष 1997 को छोड़ दें तो पिछले 70 वर्षों में इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. छिंदवाड़ा सीट कांग्रेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जाता है कि आपातकाल के बावजूद छिंदवाड़ा की जनता ने कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा था

पर अब यह मुकाबला एक तरफ नहीं रहा अब यहां बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ चुकी हैं चुनाव जीतने के लिए दोनों पार्टियों ने पूरी ताकत आजमाइश कर दी है

बीजेपी के विवेक बंटी साहू का परिचय

कांग्रेस के सामने भाजपा ने यहां विवेक बंटी साहू को उतारा है 29 अप्रैल 1979 में जन्मे विवेक बंटी साहू बीकॉम तक शिक्षा कर चुके हैं

साहू मोटरसाइकिल की एजेंसी होटल सर्राफा व्यवसाय और कृषि से जुड़े अनेक कार्यों में सम्मिलित हैं. आपको बता दे बंटी साहू कमलनाथ को लगातार उनके ही गढ़ में टक्कर देते आ रहे हैं

एकतरफा नहीं रहने वाला मुकाबला

छिंदवाड़ा की राजनीति को करीब से देखने और समझने वाले ऐसा मानते हैं कि इस बार का मुकाबला कमलनाथ या कांग्रेस के लिए मुकाबला एक तरफ नहीं हो सकता

नकुलनाथ 2019 में सांसद बने थे, लेकिन उनकी जीत का अंतर महज 37,536 मतों का था. जबकि कमलनाथ सिर्फ 25,000 वोटो से ही विधानसभा का उपचुनाव जीत पाए थे.

2023 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ 36,594 वोट से जीते थे इतना तो साफ हो गया कि नाथ परिवार अपने ही घर में कड़ी टक्कर का सामना कर रही है

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