रात 3 बजे घर से भाग कर बने सन्यासी, 18 साल से दोनों किडनिया फैल, अनिरुद्ध पांडेय से बने प्रेमानंद महराज

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वृंदावन के प्रेमानंद जी महाराज को लेकर ऐसा कहा जाता है कि वह कम उम्र में ही 3:00 बजे रात घर से भाग कर संयासी बन गए थे। तब वह शिव भक्त थे। , लेकिन राधा नाम की प्रेरणा मिलने के बाद वह राधा नाम के रसिया हो गए। 18 साल से दोनों किडनिया खराब के बाबजूद भी वह जीवित है और लोगो को सत्य का मार्गदर्शन कर रहे,

अनिरुद्ध से बने प्रेमानंद महराज

लोग इन्हें वृंदावन वाले महाराज के नाम से भी जानते हैं। वह अपने सत्य वचनों तथा मोटिवेशनल बातों को लेकर जाने जाते हैं। यहां उनके दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं बॉलीवुड से लेकर खेल के नामी हर रोज दर्शन करने आते है। अनिरुद्ध का जन्म अखिरी गांव, सरसौल ब्लॉक, कानपुर उत्तर प्रदेश के पांडेय (ब्राह्मण) कुल में हुआ। वह अपने घर से रात 3 बजे भागकर सन्यासी बने। आज पूरी दुनिया उन्होंने प्रेमानंद के नाम से जानती है।

18 साल से दोनों किडनिया फैल

स्वामी प्रेमानंद जी महाराज को लेकर ऐसा कहा जाता है कि 18 साल से उनकी दोनों किडनीया खराब हो चुकी है उनकी दोनों की किडनियों के नाम राधा कृष्ण है वह कहते भी है कि मेरा साथ राधा कृष्ण नहीं छोड़ रहे। प्रेमानंद जी महाराज बताते है कि उनका हर दिन किडनी की साफ सफाई की जाती है। वह असहाय पीड़ा से गुजरते है। 18 वर्षों से खराब किडनी को लेकर जी रहे प्रेमानंद जी महाराज वास्तविक में चमत्कार और भगवान की भक्ति का जीता जागता उदाहरण है।

राधा नाम की है आस

प्रेमानंद जी महाराज प्रारंभ में शिव भक्त है। वह बात बताते हैं कि भगवान शिव की तपस्या के बाद उन्हें राधा नाम की प्रेरणा मिली थी इसके बाद वह राधा नाम के रसिया हो गए। 18 साल पहले उनकी दोनों किडनिया खराब होने के बावजूद भी वह आज लोगों को मार्गदर्शन दे रहे हैं तथा जीवन जीने के तरीके बता रहे।

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