रीवासीधी

रीवा और सीधी कब बने जिला? इन वजहों से विंध्य में है बड़ी भूमिका

 

रीवा जिला मध्य प्रदेश का एक नोखा जिला है देश की आजादी के बाद विंध्य प्रदेश की राजधानी रहा। मध्य प्रदेश के पुनर्गठन के समय इसे 1956 में एमपी में मिलाया गया। दुनिया का सबसे पहले सफेद शेर रीवा के बघेल राजाओं के द्वारा पकड़ा गया था, दुनिया के जितने सफेद शेर हैं वह सब रीवा से ताल्लुक रखते है। सीधी जिला को 1938 में प्रशासकीय दर्जा दिया गया जिसके 10 साल बाद 1949 में सीधी जिला बनकर उभरा, अकबर के नवरत्नों में शामिल बीरबल की जन्मस्थली से भी सीधी को जाना जाता है ।

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रीवा में पाया गया था सफेद शेर

1956 में विंध्य की राजधानी रीवा को जिला बनाया गया। रीवा को सफेद शेरों की धरती भी कहा जाता है। यहां के बघेल शासको के द्वारा सफेद शेर को पकड़ा गया था, 1987 में सफेद शेर मोहन के नाम से डाक टिकट भी जारी किया गया था। रीवा में सुपारी से बने खिलौने और मूर्तियां भी विश्व में काफी प्रचलित है। यहां मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी का एक जू भी बनाया गया है। जो विश्व प्रसिद्ध है.

सीधी जिला में बीरबल की कहानी

सीधी जिला 1949 में अपने अस्तित्व में आया यह जिला बड़ा अनोखा रहा है, अकबर बीरबल की कहानी तो आपने सुनी ही होगी। यहां के घोघरा को बीरबल की जन्म स्थली कहा जाता है। सीधी जिला विश्व में बीरबल को लेकर काफी प्रसिद्ध है. यहां ऐसा मानना है कि घोघरा देवी के वरदान से बीरबल को चेतना मिली थी और वह मुगल शासक अकबर के नवरत्नों में शामिल हुए थे।

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विंध्य में रीवा सीधी की चर्चा

विंध्य के इन जिलों कि चर्चा मुख्य रूप से होती है। सीधी ने मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री दिया ( स्व. कुंवर अर्जुन सिंह चोरहट) तो वही रीवा ने विश्व प्रसिद्ध सफेद शेर, एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट और सुप्रसिद्ध आम इन दो जिलों की सबसे अहम है। विंध्य में इन दो जिलों की बड़ी भूमिका है.

 

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