रीवा के राजा है लक्ष्मण.. यहां होती है लखन की पूजा, रघुकुल और बघेलखंड का क्या है कनेक्शन 

Rewa News: भारत एक बार फिर से राम भक्ति में डूब चुका है। अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा ने पूरे देश में त्यौहार का माहौल बना दिया है। ऐसे में भगवान राम के भाई लक्ष्मण की चर्चा रीवा में शुरू हो चुकी है। तो आईए जानते हैं कि बघेलखंड और रघुकुल का आपस में क्या कनेक्शन है? यहां क्यों होती है भगवान राम के अनुज लक्ष्मण की पूजा

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Ram Lala pran pratishtha 22 January:  22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने के साथ पूरे देश में त्योहार मनाया जा रहा है। ऐसे में भगवान राम के भाई लक्ष्मण की चर्चा रीवा में होनी शुरू हो गई है, दुनिया भगवान राम को रघुकुल राजा के रूप में मानती है पर विंध्य में राम को वनवासी के रूप में माना जाता है श्री राम ने पूरे विंध्य की जिम्मेदारी लक्ष्मण को दी थी। रीवा रियासत के राजा लक्ष्मण को ही अपना राजा मानते हैं। 22 जनवरी को लक्ष्मण को याद करते हुए श्री राम को राजगद्दी में बैठाया और खुद यहां के राजा सेवक बने रहे. बघेलखंड रियासत देश की ऐसी रियासत है जहां महाराज राजगद्दी पर नहीं बैठते यहां के गद्दी में राजाधिराज श्री राम को बैठाते है.. 500 वर्षों से इस परंपरा को लगातार निभाते चले आ रहे हैं

ऐसा कहा जाता है कि चित्रकूट में भगवान राम ने अपने 14 वर्ष के वनवास के आधे से ज्यादा समय यही वितित किए थे. चित्रकूट से ही असुरों के विनाश का संकल्प लिया था। लक्ष्मण को जमुना पार से लेकर दक्षिण के पूरे क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी थी।

ऐसी ही मान्यता के चलते बघेलखंड रियासत में राजाधीराज को गद्दी दी गई और खुद सेवक बने. भारत में रीवा रियासत एक ऐसी रियासत है जहां के महाराज गद्दी पर नहीं बैठते बल्कि राजाधिराज के विग्रह को बैठाते हैं। 5 वर्षों के इतिहास में पहली बार 22 जनवरी को राजा राम नगर भ्रमण के लिए निकाले गए

ऐसे हैं बघेलखंड रियासत और श्री राम का कनेक्शन

महाराजाओं को अपनी शक्ति थाट- बाट और राजगद्दी का विशेष महत्व होता है। जिसकी गद्दी जितनी बड़ी उसकी शक्ति भी उतनी बड़ी होती है। देश और दुनिया में ऐसी कई रियासतें हैं जो अब खत्म हो चुके हैं। लेकिन, रीवा देश में एक ऐसी रियासत है जहां राजा राजगद्दी पर नहीं बैठते.. बघेलखंड रियासत के 500 वर्षों के वैभवशाली इतिहास में राजाधिराज भगवान राम को राजगद्दी पर बैठाया है। बघेल रियासत के प्रति पुरुष व्याघ्रदेव उर्फ़ बाघ देव गुजरात से चलकर . विंध्य पहुंचे थे। उनके द्वारा है जानकारी दी गई कि यह क्षेत्र लक्ष्मण का है

बघेल रियासत के द्वारा लक्ष्मण को ही अपना राजा माना गया उनकी पूजा की और राजाधिराज को राजगद्दी पर बैठाया जबकि सेवक बनकर परंपरा का निर्वहन किया गया बाघदेव महाराजा पुष्पराज सिंह के द्वारा रियासत की सहायता सेवी पीढ़ी 37वी परंपरा को निर्वहन करती रही। अयोध्या में राम की प्राण प्रतिष्ठा होने के साथ रीवा में भी खुशी का माहौल रहा पहली बार राजाधिराज को दूसरी बार नगर भ्रमण के लिए निकला गया

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