वास्तविक भावो से भरी हुई कवि अमन द्विवेदी की रचना ‘नही मै आकांक्षी ‘

वास्तविक भावो से भरी हुई कवि अमन द्विवेदी की रचना ‘नही मै आकांक्षी ‘

कवि अमन द्विवेदी द्वारा रचित रचना नही मैं आकांक्षी वास्तविक भावो एवम बढ़ती इच्छाओ को बहुत ही सहज रूप से प्रकट करती है । पूरी रचना पढ़े 👇

मैं जगत के साथ का

नही हूं आकांक्षी

छलो से भरे राह

पर जाने का

नही हूं आकांक्षी

दूर रस्ता मुकम्मल करना

पड़े तो होगा क्या

किसी का रस्ता काट

आगे बढ़ने का

नही मैं आकांक्षी

ऊंचाई तुमने ऐसी

पा ली है

तो तुम उसी पे

बने रहो

ऐसी सफलता जा जमीन

से पांव उठा दे

जो अपनो को ही

भुला से

ऐसी सफलता का

नही मैं आकांक्षी

अयोग्य होकर काबिल

का रोजगार ले लूं

ऐसी रोजगार का

नही मैं आकांक्षी

परिणाम खातिर किताबो

खोल लिख लूं

ऐसी परिणाम का

नही मैं आकांक्षी

जो मिला है

जो मिलना है

वो मिलेगा ही

कर्तव्य पथ पर चलूंगा ही

सम या विषम हो स्थिति परिस्थिति

हो कितनी भी विषम

छल और अनीतियो से

भरे पथ पर नही चलूंगा

ऐसी कूट तरकशो से

मिली चीजों का

मैं नही आकांक्षी

प्रेम मुझे मिल जाए

हृदय किसी का उससे

कुचला जाए

ऐसी प्रेम का भी

नही मै आकांक्षी

विलास के लिए गर्दन

पैरो में कहीं रगड़नी पड़े

तो ऐसे विलास का

नही मैं आकांक्षी

बस कुछ झूठे परिणामो खातिर

मैं कहीं जुड़ा रहु

जहां मेरी सत्यता भी न

सुनी जाए

ऐसी परिणाम और झूठी

प्रशंसा का

नही मैं आकांक्षी

निंदा सुनना बेहतर हैं

ऐसी किसी प्रशंसा का

नही मैं आकांक्षी।

~ कवि अमन द्विवेदी

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