सीधी। यू तो विंध्य क्षेत्र में कला और हुनर की कमी नहीं है लेकिन उन्हें सही मंच नहीं मिलने की वजह से उनकी प्रतिभा दब जाती हैं। आज हम एक ऐसे संगीतकार से रूबरू कराने जा रहे हैं जिनके बारे में आप शायद ही जानते हो। जी हां हम बात कर रहे हैं सीधी की मणिका पांडेय की जिनकी मधुर आवाज पर बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और जगतगुरु रामभद्राचार्य महाराज भी झूमे हो, और सराहना की।
हाल ही में हनुमना के गौरी सियाराम कुटीर में रामकथा हुई थी जिसमे जगतगुरु रामभद्राचार्य और भजन सम्राट अनूप जलोटा को उन्होंने अपने राग से प्रभावित किया था, जिसमे जगतगुरु रामभद्राचार्य जी महाराज मणिका पांडेय के द्वारा गाए भजन को सुनकर आनंदित हो उठे, और मणिका पांडेय की जम के तारीफ की।
वर्ष 2022 में अपनी आवाज से बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को आकर्षित किया था। जिसमे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने उनकी जम के तारीफ की थी और आशीर्वाद दिया था। मणिका पांडेय बागेश्वर धाम गई हुई थी, तब उनको धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के समक्ष अपने कला को दिखाने का मौका मिला , धीरेंद्र शास्त्री लोगो से मिल भी रहे थे और एक तरफ गाना भी सुन रहे थे ,जो मणिका के लिए और सीधी व विंध्य के लिए काफी गौरवान्वित करने का दृश्य रहा।
दूसरी तस्वीर में भजन सम्राट अनूप जलोटा के समक्ष उन्होंने अपना गीत प्रस्तुत किया ,ये मौका रहा मऊगंज के हनुमना के गौरी के सियाराम कुटीर का जब नौ दिवसीय राम कथा चल रही थी जिसमे भजन सम्राट अनूप जलोटा भी आए हुए थे उसी दौरान मणिका पांडेय को अपना हुनर दिखाने का मौका मिला, जब उन्होंने गाने की शुरुआत की तब अनूप जलोटा भी थिरकते नजर आए , उन्होंने मणिका के पूरे गाने सुने और तारीफे की।
कैसे हुई शुरुआत
मणिका बताती है की वह सीधी की निवासी है उनके पिता श्री विनय पांडेय हैं। मणिका का जन्म 1993 में सीधी में हुआ उनके परिवार में ज्यादातर लोग अध्यात्मिक और संगीत की दुनिया में दिलचस्पी रखते है मणिका का साथ उनका परिवार बखूबी दे रहा है।
DPS इंग्लिश मीडियम में 12वीं तक शिक्षा के बाद 2018 में मास्टर ऑफ म्यूजिक कोर्स किया, हालाकि मणिका 2010 से ही संगीत प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती आ रही थी ,
अब उनका सपना संगीत मात्र रह गया है वह संगीत की दुनिया में लगातार आगे बढ़ रही है। मणिका संगीत शिक्षण की एकेडमी भी चला रही और बच्चों को संगीत भी सीखा रही हैं।
उनका प्रारंभिक जीवन साधारण रहा, पर परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी संगीत का कल्चर चल रहा है इसमें मणिका को भी संगीत की दुनिया से प्रेम हो गया।
मणिका बताती हैं कि वह अपना ज्यादातर समय वृंदावन और अन्य तीर्थ स्थानोंं बिताती हैं वह बताती हैं कि अगर मुझे कोई अच्छा प्लेटफार्म मिले तो मैं विंध्य क्षेत्र का नाम और भी रोशन कर सकती हूं। मणिका को शास्त्रीय संगीत में गजब की महारत हासिल की हुई है।