सिहावलसीधी

सीधी जिले के संस्कृत का कौटिल्य जिसे कंठस्थ है 400 श्लोक स्वस्ति वाचन सहित कई वेद

सीधी/सिहावल, अमर द्विवेदी। कहते हैं कि ईश्वर मानव को जब धरती पर भेजता है तो उसमें कुछ न कुछ गुण देकर भेजता है अगर उस व्यक्ति को सही मार्गदर्शन मिल जाए तो वह निखर जाता है और अगर ना मिले तो बिखर जाता है। आपने सुना ही होगा कि किसी राज्य के किसी गांव में फलाने नाम का विद्वान रहता था परंतु आज सीधी जिले में ऐसा ही विद्वान है जिससे हम आपको रूबरू कराने वाले हैं तो सांसे थाम कर पढ़िए सीधी जिले के कौटिल्य के बारे में।

सीधी जिले के कौटिल्य अर्थात आराध्य तिवारी का जन्म 15 जुलाई 2015 दिन बुधवार समय करीब शाम के 7:40 पर ग्राम फुलवारी तहसील बहरी जिला सीधी में हुआ। आराध्य के जन्म लेते ही परिवार में खुशियां आई और सभी ने आराध्य का स्वागत किया।

जन्म से ही आराध्य थे दिव्यांग: –  6 वर्षीय आराध्य जन्म से ही दोनों पैरों से दिव्यांग थे दोनों पैर आपस में मुड़े हुए थे बातचीत के दौरान उनके नाना मुद्रिका प्रसाद शुक्ला बताते हैं की बालक के जन्म लेते ही जैसे ही मुझे जानकारी मिली की आराध्य दोनों पैर से दिव्यांग है तो मुझे यह एहसास हुआ कि निश्चित ही इस अबोधबालक ने ईश्वर कोई दिव्य शक्ति दे कर भेजा है। मूल रूप से आराध्य कंदुई वाराणसी के रहने वाले हैं उनके पिता भास्कर तिवारी गुजरात में प्राइवेट नौकरी करते हैं तो माता आराधना देवी गृहणी है। आराध्य अपने माता-पिता के अकेले संतान है।

आराध्य की 2 वर्ष के उम्र की तस्वीर

गुजरात के वापी में हुआ इनके पैर का ऑपरेशन: – नाना मुद्रिका प्रसाद शुक्ला बताते हैं की आराध्य के जन्म लेने के पश्चात इनका दिव्यांग होना इनके विकास में बाधा पैदा कर रहा था तब गुजरात के वापी शहर में ऑपरेशन हुआ तथा इनके पैर में 2 वर्ष तक प्लास्टर बंधा रहा।

सनातन धर्म की ओर है विशेष झुकाव: – आराध्य को शुरू से ही सनातन धर्म और संस्कृत की ओर विशेष रूचि रही है जिसको उनके नाना ने पढ़ा तथा नाना के मार्गदर्शन में ही उनके पूजा पाठ के दौरान आराध्य को संस्कृत के 400 श्लोक, स्तुति वाचन गणेश वंदना सहित कई संस्कृत के ज्ञान इनके पास कंठस्थ है।

पूजा करते हुए आराध्य

करते हैं शुद्ध उच्चारण: – जब हमारे द्वारा 6 वर्षीय बालक विलक्षण प्रतिभा के धनी आराध्य तिवारी से स्वस्ति वाचन पढ़ने के लिए बोला गया तो वह बिना किसी झिझक के स्पष्ट शब्दों में ऐसे उच्चारण करने लगे जैसे काशी का कोई प्रकांड विद्वान मंत्रोच्चारण कर रहा हो। विलक्षण प्रतिभा के धनी इस बालक के मामा वेद प्रकाश शुक्ला जो पेसे से ग्राम पंचायत फुलवारी के रोजगार सहायक हैं उन्होंने बताया की आराध्य अपने नाना के साथ पूजा पाठ करते हैं और उन्हीं के मार्गदर्शन में यह सब सीखे हैं।

स्वस्ति वाचन करते हुए आराध्य

नाना से है विशेष प्यार: – नाना से विशेष प्यार होने की वजह से आराध्य अपने घर नहीं जाते हैं और नाना के यहां ग्राम फुलवारी में रहते हैं इनके नाना मुद्रिका प्रसाद शुक्ल पेशे से शिक्षक तथा शासकीय हाई स्कूल फुलवारी के प्राचार्य हैं इन्हीं के मार्गदर्शन में आराध्य कक्षा दो में अध्ययनरत हैं।

नाना मुद्रिका प्रसाद शुक्ल

कक्षाचार्य रखते हैं विशेष रूचि:- जब हमारे द्वारा पड़ताल की गई तो यह पाया गया की उनके कक्षाचार्य हरीश पांडेय आराध्य के वातावरण के अनुकूल शिक्षा देते हुए उनके मन को नई उड़ान देते हैं। श्री पांडेय द्वारा बताया गया कि यह बच्चा विलक्षण प्रतिभा का धनी है यह आने वाले समय में अपने गांव, परिवार, समाज, क्षेत्र सहित संस्कृत के क्षेत्र में तथा सनातन धर्म के क्षेत्र में यशस्वी होने का पताका लहराएगा।

आराध्य के कक्षाचार्य हरीश पांडेय

 

 

 

 

 

समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button