4 दिन में तीन भाई-बहनों की मौत पिता बोला-ये भूत-प्रेत का साया दो बेटियों पर भी खतरा
माता-पिता के लिए संतान से बड़ा सुख और कुछ नहीं होता। ऐसे में अगर किसी माता-पिता से तीन बच्चे एक साथ छिन जाएं, ये सोचकर ही डर लगता है। मुरैना में एक दंपती इसी दर्द से गुजर रहा है। 4 दिन के अंदर उनके तीन मासूम बच्चों की मौत हो गई। एक के बाद एक तीनों की अचानक तबीयत खराब हुई, झटके आने लगे और फिर देखते ही देखते मौत हो गई। लेकिन ऐसा क्यों हुआ डॉक्टर भी ठीक से बता नहीं पा रहे हैं।
मामला मुरैना के कैलारस कस्बे के भिलसैंया गांव का है। कल्याण यादव के पांच बच्चों में तीन साल की सुमन 17 दिसंबर को बीमार हो गई। उसे झटके आने लगे। झाड़-फूंक कराई। इसके बाद अस्पताल ले गए। इसी बीच 19 दिसंबर को 6 साल की दूसरी बेटी राधिका को भी झटके आने लगे। अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। 21 दिसंबर को 17 माह का बेटा विपिन बीमार हुआ, उसने माता-पिता के सामने ही दम तोड़ दिया। अस्पताल में भर्ती होने के पांच दिन बाद 22 दिसंबर को इलाज के दौरान सुमन की मौत भी हो गई।
परिजन बोले- घर पर भूत-प्रेत या देवीय प्रकोप
जब तीन साल की सुमन बीमार हुई तो उसे झटके आ रहे थे। कल्याण और उसकी पत्नी को लगा कि भूत-प्रेत या देवीय प्रकोप है। उन्होंने झाड़-फूंक करने वाले ओझा को बुला लिया। जब आराम नहीं लगा तो बेटी को कैलारस सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले गए। यहां से ग्वालियर के कमलाराजा हॉस्पिटल भेज दिया, लेकिन जान नहीं बच सकी। बड़ी बेटी राधिका के सिर में सूजन थी और झटके आ रहे थे। उसे भी ग्वालियर में भर्ती कराया था। 17 माह के विपिन ने तो मां की गोद में ही दम तोड़ दिया। तीनों बच्चों को खोने के बाद माता-पिता सदमे में हैं।
पत्नी को शिवपुरी के ओझा के पास भेजा
कल्याण यादव के कुल पांच बच्चे थे। दो बड़ी बेटियों की उम्र 10 और 8 साल है। तीसरी बेटी 6 साल की राधिका। चौथी बेटी तीन साल की सुमन और पांचवा बेटा 17 माह विपिन था। राधिका, सुमन और विपिन की मौत हो गई। परिवार को डर है कि घर पर भूत-प्रेत का साया है। दोनों बड़ी बेटियों की भी तबीयत खराब है। डर के कारण उन्होंने दोनों को रिश्तेदारों के यहां भेज दिया है। पत्नी रचना को झाड़-फूंक के लिए शिवपुरी में ओझा के पास भेजा है। परिवार को डर है कि अब रचना को नुकसान पहुंच सकता है।
गांव के बाहर बने देवी के मंदिर से जोड़ रहे कहानी
भिलसैंया गांव के बाहर देवी का मंदिर है। गांव के लोग और कल्याण यादव अपने घर में हुई बच्चों की मौत को देवी के मंदिर से जोड़ रहे हैं। जब डॉ. महेन्द्र यादव गांव में पहुंचे तो बड़ी संख्या में ग्रामीण इसी मंदिर पर मौजूद थे। उनका कहना है कि ग्रामीण ही देवी प्रकोप की बात कहकर कल्याण को डरा रहे हैं। इधर, गांव वालों का कहना है कि कुछ साल पहले भी इसी तरह से गांव में दो-तीन लोगों की मौत हुई थी। कल्याण के तीनों बच्चों को झटके आ रहे थे। झटके आने से गांव के लोगों को विश्वास हो चुका है कि यह कोई बीमारी नहीं है।
बच्ची का पीएम कराने तैयार नहीं हुआ पिता
22 दिसंबर को ग्वालियर के कमलाराजा हॉस्पिटल में सुमन ने सुबह 6 बजे दम तोड़ा। इससे पहले दो बच्चों को मौत हो चुकी थी। डॉक्टरों को मौत का कारण समझ नहीं आ रहा है, इसलिए पिता कल्याण यादव से सुमन का पोस्टमार्टम कराने के लिए कहा। सीएमएचओ ने भी उसे समझाया, लेकिन वह पीएम के लिए तैयार नहीं हुआ। डॉक्टर आशंका जता रहे हैं कि तीनों बच्चों को दिमागी या चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) हो सकता है। इसकी वजह से बच्चों को झटके आ रहे थे।
गांव में सफाई एक ही कुएं से पी रहे पानी
डॉ. महेन्द्र यादव ने बताया कि कल्याण यादव के घर के आसपास साफ-सफाई है। गांव के सभी घरों के लोग एक ही कुएं का पानी पीते हैं, जिसे मोटर के जरिए निकाला जाता है। इलाके की साफ-सफाई को देखकर यह कहना मुश्किल है कि कोई संक्रमित बीमारी हो सकती है।
संभवत दिमागी बुखार से हुई मौत CMHO
CMHO डॉ. राकेश शर्मा ने बताया कि कल्याण यादव के बच्चों की मौत किस वजह से हुई यह कहना अभी मुश्किल है। बीमारी का पता लगा रहे हैं। संभवत: दिमागी या चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) था। ये बुखार धीमी गति से बढ़ा होगा, जिससे मौत हो गई। परिवार को समझाया कि बच्चों की मां को भी खतरा है, दो बच्चियों और मां की सभी जांच कराना पड़ेगी। खासकर ब्रेन का सीटी स्कैन, इसी से बीमारी का पता लगाया जा सकता है