मऊगंज

मऊगंज के गड़रा गांव में भय और खामोशी: 187 ग्रामीण लापता, मवेशी भूखे, राजनीति गर्म

गांव में वीरानी, 187 ग्रामीण लापता – प्रशासन पर सवाल मवेशियों की हालत गंभीर, भूख-प्यास से तड़प रहे हैं जानवर,CBI जांच की मांग पर BSP का जोर, 9 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा गया।

मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले के गड़रा गांव में हुई हिंसक घटना के बाद से गांव सन्नाटे में डूबा है। करीब 187 आदिवासी और दलित ग्रामीण लापता हैं और उनके घरों पर ताले लगे हैं। इन सूने घरों में रह गए मवेशी—गायें और बकरियाँ—भूख-प्यास से तड़प रहे हैं। तेज गर्मी और भोजन-पानी की कमी ने जानवरों की हालत और भी गंभीर बना दी है।

इस खौफनाक स्थिति की जड़ में वह हिंसा है, जिसके बाद पुलिस कार्रवाई ने गांव वालों को इतना डरा दिया कि वे सब कुछ छोड़कर भागने को मजबूर हो गए। बहुजन समाज पार्टी (BSP) के नेताओं ने इस पूरे मामले की CBI जांच की मांग की है। उनका आरोप है कि पुलिस और प्रशासन के डर से ग्रामीण सामने नहीं आ पा रहे हैं और जब तक निष्पक्ष जांच नहीं होगी, तब तक न्याय की उम्मीद बेमानी है।

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4 अप्रैल को तीन आदिवासियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने हालात को और गंभीर बना दिया। गांव में धारा 144 जैसी कड़ी निगरानी है और हर कोने पर पुलिस तैनात है। लगभग 50 घर वीरान हैं और गाय-बकरियों की देखभाल अब पुलिस कर्मियों के जिम्मे है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस की कार्रवाई इतनी कठोर थी कि जिसने देखा या सुना, वह भाग निकला। तीन दर्जन से अधिक ग्रामीणों पर केस दर्ज किया गया है और गिरफ्तारी के बाद पुलिस का रवैया बेहद कठोर बताया जा रहा है। यहां तक कि आरोपियों के परिजन तक मानसिक प्रताड़ना के शिकार हुए हैं।

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बीएसपी ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर 9 सूत्रीय मांगें रखीं, जिसमें मृतक अशोक कोल, औसरी साकेत और उनके दो मासूम बच्चों की मौत की निष्पक्ष जांच शामिल है। पार्टी ने कहा कि यह कोई सामान्य घटना नहीं बल्कि एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है। पार्टी की जिला अध्यक्ष अनीता सुमन ने स्थानीय विधायक पर हमला बोलते हुए कहा कि मऊगंज को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया गया है।

इस पूरे मामले पर मऊगंज एसपी ने भी माना है कि गांव छोड़कर गए लोग डरे हुए हैं। उन्होंने अपील की है कि वे लोग वापस लौटें, प्रशासन उनकी पूरी मदद करेगा। मगर सवाल ये है—क्या डरा हुआ इंसान बिना भरोसे के वापस लौट पाएगा।

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