मध्यप्रदेश

पेंशनरों के साथ अन्याय: महंगाई राहत में भेदभाव से गुस्से में रिटायर्ड कर्मचारी

पेंशनर्स का कहना है कि उन्हें सम्मान और समान अधिकार मिलना चाहिए। उनका जीवन निर्वाह इस राहत पर भी निर्भर करता है, इसलिए सरकार को बिना भेदभाव के समान राहत प्रदान करनी चाहिए।

मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में अपने शासकीय कर्मचारियों को पाँच प्रतिशत अतिरिक्त महंगाई भत्ता (DA) देने का निर्णय लिया है, लेकिन राज्य के पेंशनरों को सिर्फ तीन प्रतिशत की ही राहत दी गई है। इस निर्णय से रिटायर्ड कर्मचारियों में भारी नाराज़गी है। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर गुहार लगाई है कि उन्हें भी समान रूप से पाँच प्रतिशत महंगाई राहत दी जाए।

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वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, कर्मचारियों को 1 जुलाई 2024 से तीन प्रतिशत और 1 जनवरी 2025 से दो प्रतिशत महंगाई भत्ता एरियर्स सहित दिया जाएगा। लेकिन पेंशनरों को यह लाभ 1 जुलाई 2024 की बजाय 1 मार्च 2025 से मिलेगा। पेंशनर्स ने इस फैसले को अनुचित और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

आरोप आर्थिक शोषण और भेदभाव

पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के संरक्षक गणेश दत्त जोशी ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ की सहमति के नाम पर राज्य सरकार वर्षों से पेंशनर्स का आर्थिक शोषण कर रही है। एसोसिएशन के अध्यक्ष आमोद सक्सेना ने कहा कि जब नवंबर 2000 से दोनों राज्य बिना किसी आपसी सहमति के पेंशन दे रहे हैं, तो फिर महंगाई राहत के लिए सहमति की शर्त क्यों लगाई जा रही है।

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उनका कहना है कि संविधान के खिलाफ जाकर पेंशनरों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मुद्दे में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। वहीं, भोपाल इकाई के अध्यक्ष सुरेश शर्मा ने भी इस नीति को संविधान विरोधी बताते हुए वित्त मंत्री से पुनः परीक्षण कर इसे सार्वजनिक करने की मांग की है।

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