इंदौर स्मार्ट सिटी में बड़ा खुलासा: दो अफसरों पर गलत नियुक्ति की जांच शुरू
इंदौर स्मार्ट सिटी में संविदा इंजीनियर की नियमों के खिलाफ नियुक्ति पर बवाल, दो सीनियर IAS अधिकारियों पर लोकायुक्त ने जांच शुरू की, भ्रष्टाचार के आरोपों की पड़ताल जारी।

इंदौर में स्मार्ट सिटी परियोजना से जुड़ा एक बड़ा प्रशासनिक विवाद सामने आया है, जिसमें दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे हैं। नगर निगम की पूर्व आयुक्त एवं वर्तमान में कौशल विकास केंद्र की निदेशक हर्षिका सिंह और इंदौर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीईओ दिव्यांक सिंह के खिलाफ लोकायुक्त संगठन ने आधिकारिक जांच प्रकरण दर्ज कर लिया है।
क्या है पूरा मामला
आरोपों के मुताबिक, जून 2023 में तत्कालीन नगर निगम आयुक्त हर्षिका सिंह ने देवेश कोठारी नामक एक संविदा इंजीनियर को इंदौर नगर निगम के जोन-13 में भवन अधिकारी के पद पर नियुक्त कर दिया। गौर करने वाली बात यह है कि कोठारी न तो नगर निगम के स्थायी कर्मचारी थे और न ही उनके पास राज्य शासन द्वारा तय मानकों के अनुसार भवन अधिकारी बनने की पात्रता थी।
देवेश कोठारी को वर्ष 2017 में इंदौर स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए सहायक यंत्री के रूप में संविदा पर नियुक्त किया गया था। बावजूद इसके, उन्हें एक बेहद महत्वपूर्ण पद — भवन अधिकारी — पर बैठा दिया गया, जहाँ उन्होंने छह माह के भीतर 250 से अधिक भवन नक्शों को स्वीकृति दी और सैकड़ों नोटिस जारी किए। आरोप है कि इन नोटिसों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिससे अवैध निर्माणों और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला।
क्यों उठे सवाल
पूर्व पार्षद की शिकायत के अनुसार, यह पूरी नियुक्ति प्रक्रिया नियमों के खिलाफ थी और इसका उद्देश्य निजी लाभ कमाना था। आरोप है कि इस अवैध नियुक्ति में दोनों अधिकारी— हर्षिका सिंह और दिव्यांक सिंह — सक्रिय रूप से शामिल थे। दिव्यांक सिंह पर कोठारी की नियुक्ति को छिपाने का भी आरोप है।
जांच की प्रक्रिया शुरू
शिकायत भोपाल स्थित लोकायुक्त मुख्यालय में की गई थी, जहां से इस पर संज्ञान लेते हुए प्राथमिक जांच शुरू की गई। कुछ लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं और अब औपचारिक जांच प्रकरण दर्ज कर मामले की गंभीरता से छानबीन की जा रही है। यदि ठोस सबूत मिलते हैं, तो कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
यह मामला न केवल प्रशासनिक अनियमितताओं को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस प्रकार संविदा नियुक्तियों के जरिए नियमों को ताक पर रखकर पदों का दुरुपयोग किया जा सकता है। अब सबकी निगाहें लोकायुक्त की जांच पर टिकी हैं, जो इस पूरे मामले की सच्चाई को सामने लाएगी।