मऊगंज

सहकारी बैंक में 7 करोड़ का घोटाला: मऊगंज के हजारों खाताधारकों की पूंजी पर संकट

मऊगंज जिले में सहकारी बैंक से 7 करोड़ रुपये की रहस्यमयी ग़ायब रकम, 3500 खाताधारक परेशान, सरकार की कार्रवाई धीमी, भरोसे पर बड़ा आघात

देशभर में सहकारी बैंकों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगते रहे हैं, लेकिन मऊगंज जिले में सामने आया यह ताजा घोटाला एक बड़े वित्तीय विश्वासघात की कहानी कहता है। जिले की सहकारी समितियों से जुड़े खातों से करीब 7 करोड़ रुपये की राशि रहस्यमयी तरीके से गायब हो चुकी है — और अभी तक किसी को न्याय नहीं मिला।

हजारों खाताधारकों के पैसे हुए गायब

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक, रीवा की पहाड़ी शाखा और उससे जुड़ी हर्दी, गौरी, देवरा पटेहरा, टटिहरा और हटवा समितियों के खातों से लाखों-करोड़ों की राशि बिना किसी वैध ट्रांजेक्शन के ग़ायब हो चुकी है। जांच में यह बात सामने आई कि यह रकम कभी संबंधित खातों में जमा ही नहीं की गई थी।

सबसे ज्यादा नुकसान हर्दी समिति को

हर्दी समिति: ₹4.50 करोड़

गौरी समिति: ₹1.50 करोड़

देवरा पटेहरा: ₹45 लाख

टटिहरा समिति: ₹35 लाख

हटवा समिति: ₹16 लाख

कुल मिलाकर 7 करोड़ से अधिक की रकम हवा हो गई है। यह संकट उन करीब 3500 खाताधारकों पर सीधे असर डाल रहा है, जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई वर्षों तक इन बैंकों में भरोसे से जमा की थी।

खाताधारक दर-दर की ठोकरें खा रहे

पीड़ित लोग दो वर्षों से बैंक मुख्यालय, कलेक्टर कार्यालय और प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन मिल रहा है।

कुछ प्रमुख पीड़ितों की स्थिति

कृष्ण दास गुप्ता: ₹3.13 लाख नकद और ₹78,000 की FD

रहसकली गुप्ता: ₹8 लाख नकद और ₹4 लाख की FD

संकर्षण प्रसाद गौतम: ₹1.16 लाख की परिपक्व FD, भुगतान शून्य

रामपति प्रजापति, कपूर चंद्रगुप्त, नीरज कुशवाहा, रामस्वरूप: सभी की FD पूरी, लेकिन एक भी पैसा नहीं मिला

जांच अधूरी, कार्रवाई अधर में

2023 में विधायक प्रदीप पटेल ने धरना दिया था, मुख्यमंत्री के आदेश पर जांच समिति भी गठित हुई, और एक अधिकारी राजीव लोचन शुक्ला को हटाया भी गया। लेकिन इसके बाद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

न कोई एफआईआर, न कोई गिरफ्तारी, न ही धनवापसी। अपेक्स बैंक को कई बार शिकायतें भेजी गईं लेकिन अब तक सब निष्फल।

मऊगंज सहकारी बैंक घोटाला सिर्फ एक वित्तीय धोखाधड़ी नहीं है — यह जनता के साथ किया गया सीधा विश्वासघात है। यदि सरकार और बैंकिंग प्रणाली ने जल्द सख्त कदम नहीं उठाए, तो यह न केवल आर्थिक संकट को जन्म देगा, बल्कि आम लोगों के बैंकिंग सिस्टम से विश्वास भी छीन लेगा।

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