रीवा में फर्जी दस्तावेजों से दी गई नौकरियां! दो अफसर सस्पेंड, छह नियुक्तियां रद्द
रीवा में अनुकंपा नियुक्ति घोटाला उजागर, फर्जी दस्तावेजों पर दी गई नौकरियों में दो अफसर निलंबित, एफआईआर दर्ज

रीवा जिले में अनुकंपा नियुक्तियों को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरियां देने के मामले में जिला शिक्षा अधिकारी (D.E.O.) सुदामा गुप्ता और योजना अधिकारी अखिलेश मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई रीवा संभाग के कमिश्नर बीएस जामोद ने की है।
जानकारी के अनुसार, शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के 37 मामलों की विशेष जांच कराई गई थी। जांच में पाया गया कि इनमें से पांच नियुक्तियां फर्जी दस्तावेजों पर की गई थीं। गंभीर लापरवाही और अनियमितता के चलते दोनों अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करते हुए निलंबन के आदेश जारी किए गए।
कमिश्नर ने बताया कि पहले दोनों अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। जवाब असंतोषजनक मिलने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया। निलंबन के दौरान दोनों अधिकारियों का मुख्यालय संयुक्त संचालक, लोक शिक्षण कार्यालय रीवा रहेगा। नियमानुसार, उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा।
अब तक छह फर्जी नियुक्तियां उजागर
जांच रिपोर्ट के अनुसार, 14 मार्च से 31 मई 2025 के बीच फर्जी दस्तावेजों पर पांच अनुकंपा नियुक्तियां की गई थीं। इससे पहले एक और मामला सामने आ चुका है। अब तक कुल छह नियुक्तियां रद्द की जा चुकी हैं। इस संबंध में डीईओ सुदामा गुप्ता ने सिविल लाइन थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई है।
13 जून को जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर जिन पांच लोगों की नियुक्तियां रद्द की गईं, उनके नाम इस प्रकार हैं:
विनय कुमार रावत (ग्राम बरौं, सेमरिया)
हीरामणि रावत (ग्राम जोड़ौरी)
सुषमा कोल (ग्राम सोहागी)
ऊषा देवी (ग्राम चंदेला)
ओप्रकाश कोल (ग्राम खुंथी, उमरी गोविंदपुर)
मृत महिला के नाम पर दी गई थी नौकरी
पहले सामने आए मामले में ‘बेलकली’ नाम की महिला कभी शिक्षा विभाग में कार्यरत ही नहीं रही। फिर भी उसके नाम पर बृजेश कुमार कोल को नौकरी दे दी गई। आवेदन 1 अप्रैल को किया गया था और महज 17 दिन बाद उसे अनुकंपा नियुक्ति दे दी गई थी। मामले के खुलासे के बाद यह नियुक्ति तत्काल रद्द कर दी गई।
डीईओ सुदामा गुप्ता के अनुसार, इस नियुक्ति में मृत कर्मचारी की यूनिक आईडी, मृत्यु प्रमाण पत्र और प्राचार्य की अनुशंसा जैसे सभी दस्तावेज फर्जी पाए गए। इसके चलते नियुक्ति आदेश रद्द करना पड़ा।