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रूस से तेल खरीद पर अमेरिका की धमकी बेअसर, भारत ने कहा- राष्ट्रीय हित में होगा हर फैसला

अमेरिका के प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस से सस्ता तेल खरीदता रहेगा, कीमत बढ़ने पर वैश्विक बाजार पर पड़ेगा असर।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है जिसमें उन्होंने भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर भारी जुर्माना लगाने की घोषणा की। लेकिन भारत ने दो टूक शब्दों में साफ कर दिया कि वह किसी भी विदेशी दबाव के आगे नहीं झुकेगा, और देशहित को सर्वोपरि मानते हुए निर्णय लेगा।

क्या कहा भारत ने

भारत सरकार के उच्च स्तरीय सूत्रों का कहना है कि रूस से तेल खरीद के लिए देश ने दीर्घकालिक समझौते किए हैं। ऐसे में रातों-रात आपूर्ति रोकना न तो व्यवहारिक है और न ही लाभकारी। भारत ने स्पष्ट किया है कि जब तक रूस से सस्ता और विश्वसनीय तेल मिल रहा है, तब तक वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए यह व्यापार जारी रखेगा।

तेल की कीमतों पर संभावित असर

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि रूस से तेल आयात पर वैश्विक स्तर पर प्रतिबंध लगता है तो कच्चे तेल की कीमतें $100 से $120 प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं। इसका असर केवल भारत पर नहीं, बल्कि अमेरिका जैसे बड़े तेल उपभोक्ता देशों पर भी पड़ेगा। अमेरिका खुद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है, और ऐसे किसी भी संकट में वह भी महंगाई की चपेट में आ सकता है।

विशेषज्ञों की राय

भारत के ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा का कहना है कि अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले प्रतिबंध न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया की ऊर्जा आपूर्ति व्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं। यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो खुद अमेरिका में भी पेट्रोल और डीज़ल महंगे होंगे, जिससे महंगाई दर तेज़ी से बढ़ सकती है।

भारत के पास क्या विकल्प हैं

भारत फिलहाल 36 से ज्यादा देशों से कच्चा तेल आयात करता है। रूस से आयात रुकने की स्थिति में विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन अन्य स्रोतों से तेल महंगा मिलेगा। इससे भारत की तेल कंपनियों पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा। हालांकि, सरकारी स्तर पर यह प्रयास रहेगा कि इस बोझ का असर आम उपभोक्ताओं पर न पड़े।

रूस से बढ़ा व्यापार

फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए। इस मौके का फायदा उठाते हुए भारत ने रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना शुरू किया। मई 2025 में भारत ने 1.96 मिलियन बैरल प्रतिदिन तेल रूस से आयात किया, जो कुल तेल आयात का लगभग 38% है।

क्यों जरूरी है रूस से तेल

रूस प्रतिदिन 50 लाख बैरल तेल का निर्यात करता है और भारत अपनी ज़रूरत का 33-40% तेल रूस से ही मंगाता है। अगर यह आपूर्ति बाधित होती है तो न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया की तेल आपूर्ति और मूल्य व्यवस्था गड़बड़ा सकती है। भारत अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए इसके फैसले का वैश्विक असर तय है।

ट्रंप का बयान और भ्रम

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है। लेकिन मीडिया से बातचीत में उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें पूरी जानकारी नहीं है। इसके उलट भारत सरकार के अधिकारियों ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है और तेल कंपनियों को रूस से आयात जारी रखने के निर्देश हैं।

भारत ने अमेरिका की धमकी को दरकिनार करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखेगा। रूस से सस्ता और स्थिर तेल मिलना भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। वैश्विक राजनीति में भले ही दबाव बनाने की कोशिशें हों, लेकिन भारत जैसे उभरते हुए राष्ट्र अब आत्मनिर्भर फैसलों के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

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