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नामांतरण के नाम पर 50 लाख की रिश्वत! इंदौर में भ्रष्टाचार की बड़ी परत उजागर

50 लाख की डिमांड ने हिला दिया भरोसा – नामांतरण बना दलालों का धंधा,पटवारी ने बुलाया कोठी पर, 'साहब' के लिए मांगे करोड़ों जैसे रुपए

इंदौर में जमीन के नामांतरण को लेकर भ्रष्टाचार का चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने प्रशासन और आम नागरिकों को झकझोर कर रख दिया है। मल्हारगंज तहसील की 31,000 वर्गफीट जमीन के फौती नामांतरण के एवज में एक बेटे से 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई। ये मांग किसी और ने नहीं, बल्कि सरकारी पदों पर बैठे कर्मचारियों ने की।

जब वैभव नामक युवक ने अपने दिवंगत पिता की जमीन के नामांतरण के लिए आवेदन दिया, तो पटवारी ओम त्रिपुरेश मिश्रा ने पहले वकील से संपर्क कर “साहब” के लिए 50 लाख रुपये की डिमांड रखी। वकील द्वारा मना करने पर, सीधे वैभव को रेसीडेंसी कोठी बुलाकर वही मांग दोहराई गई। यह सुनकर वैभव हैरान रह गया और बोला, “इतने पैसों में तो दूसरी जमीन मिल जाएगी! यह तो मेरे पिता की संपत्ति है, इसमें रिश्वत क्यों।

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घटनाक्रम की गंभीरता को समझते हुए वकील राहुल दवे ने तत्काल कलेक्टर आशीष सिंह से संपर्क किया और सारी जानकारी सबूतों सहित साझा की। कलेक्टर ने तत्काल कार्रवाई करते हुए पटवारी को निलंबित कर दिया और नायब तहसीलदार नागेंद्र त्रिपाठी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दे दिए।

चौंकाने वाली बात यह है कि पटवारी का पहले ही तबादला हो चुका था, लेकिन जैसे ही नामांतरण की फाइल आई, वह सक्रिय हो गया और खुद को “परिचित” बताकर केस में दखल देने लगा। तहसीलदार त्रिपाठी के एक कथित प्रतिनिधि शान पटेल ने रिश्वत की मांग की और बाद में खुद छुट्टी पर चला गया।

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इस पूरे प्रकरण ने इंदौर में सरकारी भूमि कार्यों में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहराई को उजागर कर दिया है। यही कारण है कि कलेक्टर ने एक संवाद केंद्र शुरू किया है, जहां नामांतरण या सीमांकन के आवेदकों से संपर्क कर पूछा जाता है कि क्या उनसे किसी ने रिश्वत मांगी है। अब तक कई पटवारियों पर शिकायतें आ चुकी हैं और रिकॉर्डिंग भी जमा की गई है, जिनके आधार पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है।

इंदौर में जमीन की बढ़ती कीमतों के साथ भ्रष्टाचार भी उफान पर है, लेकिन इस तरह की साहसी शिकायतें और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई समाज में पारदर्शिता की उम्मीद जगाती हैं।

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