एमपी में प्रशासनिक भूकंप: 35 जनपद सीईओ का तबादला, बड़े अफसर पहुंचे छोटे पदों पर
प्रदेश में 35 जनपद पंचायत सीईओ का तबादला, महिला अधिकारियों को भी मिली बड़ी जिम्मेदारी, राजधानी से कई अफसर हुए बाहर।

मध्य प्रदेश में सोमवार देर रात प्रशासनिक हलचल मच गई। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने 35 जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों (सीईओ) के तबादले कर दिए। इस फेरबदल ने न सिर्फ अफसरशाही को चौंकाया, बल्कि राजधानी भोपाल से लेकर इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े शहरों में कार्यरत कई वरिष्ठ अधिकारियों को दूरस्थ और छोटे जनपदों में भेज दिया गया।
सरकार की इस बड़ी सर्जरी में कई महिला अधिकारियों को भी जिम्मेदारी भरे पदों पर भेजा गया है, जो बदलाव की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है। ये सभी तबादले उस वक्त किए गए हैं जब प्रदेश में नई स्थानांतरण नीति लागू होने की तैयारी चल रही है और खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में कलेक्टर और एसपी जैसे वरिष्ठ पदों पर भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
प्रदेश की 89 जनपद पंचायतों में लंबे समय से सीईओ के पद खाली थे, जिससे विकास कार्यों में रुकावट आ रही थी। विधानसभा में मामला उठने के बाद सरकार ने खाली पदों को भरने की दिशा में यह अहम निर्णय लिया।
प्रमुख तबादले इस प्रकार हैं
- केके रैकवार: भोपाल से जैतहरी, अनूपपुर
- रंजीत सिंह रघुवंशी: भोपाल से जीरापुर, राजगढ़
- हेमेंद्र सिंह चौहान: इंदौर से धरमपुरी, धार
- वंदना गंगल: ग्वालियर से रौन, भिंड
- उदय प्रताप सिंह भदौरिया: जबलपुर से बिरसा, बालाघाट
- अभिषेक गुप्ता: भोपाल से बाबई चिचली, नरसिंहपुर
- शिवानी जैन: जबलपुर से जयसिंहनगर, शहडोल
- आयुषी गोयल: भोपाल से मनासा, नीमच
- पूजा गुप्ता: भोपाल से आलोट, रतलाम
- ममता मिश्रा: शहडोल से कोतमा, अनूपपुर
- दीपा कोटस्थाने: उज्जैन से गौरिहार, छतरपुर
इस फेरबदल को सरकार द्वारा प्रशासन को ज़मीनी हकीकत से जोड़ने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। अधिकारियों को मैदानी अनुभव दिलाने और स्थानीय विकास योजनाओं में तेजी लाने के मकसद से यह निर्णय लिया गया है।