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AIIMS Make India: नेहरू, बाजपेयी मनमोहन से मोदी तक किस सरकार में कितने बनाए गए और क्या है हालत

 

 

 

 

प्रधानमंत्री ने हिसार में आधारशिला रखते हुए कहा कि 2014 के बाद से उनकी सरकार में 15 एम्स स्वीकृत किए गए हैं प्रधानमंत्री ने यह भी दावा किया कि आजादी के बाद 2014 तक 380 मेडिकल कॉलेज बने, उनकी सरकार के सिर्फ 10 साल में 300 मेडिकल कॉलेज बने मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रधानमंत्री आने वाले हफ्तों में जम्मू, राजकोट (गुजरात), बठिंडा (पंजाब), कल्याणी (पश्चिम बंगाल), मंगलागिरी (आंध्र प्रदेश) और रायबरेली (उत्तर प्रदेश) में पहले से घोषित 6 और एम्स का उद्घाटन करेंगे।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि राष्ट्रीय महत्व के इन 7 अस्पतालों की कुल लागत 10 हजार करोड़ रुपये के करीब है जहां हर अस्पताल में हर दिन 10 हजार मरीज इलाज के लिए आएंगे. यहां बता दें कि हाल ही में पेश किए गए अंतरिम बजट 2024-25 में मोदी सरकार ने एम्स के निर्माण के लिए 6,800 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

एम्स रेवाडी, जिसे एम्स माजरा के नाम से भी जाना जाता है, का उल्लेख 2019 के बजट में किया गया था। लगभग 1,650 करोड़ रुपये की लागत वाले, रेवाड़ी एम्स में 720 बेड, 75 आईसीयू बेड, 30 ट्रॉमा बेड, 100 सीटों वाला मेडिकल कॉलेज, 60 सीटों वाला नर्सिंग कॉलेज, 30 बेड वाला एक आयुष ब्लॉक के अलावा आवासीय घर हैं कर्मचारियों, सरकार ने छात्रों के लिए छात्रावास जैसी सुविधाएं प्रदान कीं।

मोदी सरकार का कहना है कि इस सरकार में 15 एम्स को मंजूरी दी गई और 8 एम्स की घोषणा पिछली सरकारों ने की थी. इस प्रकार, हिसार के साथ-साथ देश में एम्स की संख्या 23 तक पहुंच गई है मोदी सरकार यह कहते हुए अपनी पीठ थपथपाती है कि जब उन्होंने 2014 में सरकार संभाली थी तब देश में केवल 7 एम्स तैयार थे हमारी सरकार ने इस संख्या को बढ़ाया है दो दर्जन तक।

एम्स की घोषणा आधारशिला, फिर निर्माण, उद्घाटन और उस पर भी पूरी संचालित है या नहीं? इसकी पड़ताल काफी मकड़जाल से भरी है मकड़जाल से इसलिए कि घोषणा किसी और सरकार में होती है आधारशिला कोई और रखता है और लोकार्पण किसी और के हिससे आ जाता है एम्स की जो भी स्थापना हुई, वह पूरी तरह संचालित है या नहीं, इसको लेकर भी एक मत नहीं है फुली फंक्शनल, फंक्शनल, पार्शियली फंक्शनल, अंडर कंस्टक्शन जैसी कई कैटेगरी हैं।

मतलब एम्स कितना बन कर तैयार हुआ, इसको लेकर अलग-अलग श्रेणियां हैं ऐसे में, क्यों न ये समझा जाए कि किस सरकार ने कितने एम्स बनवाए, किसकी की गई घोषणा कब जाकर पूरी हुई और अगर हुई भी तो विवाद क्यों उपजते रहे. साथ ही, सबसे अहम सवाल, मोदी सरकार ने जिन 15 एम्स की आधारशिला रखी, क्या वो आज की तारीख में पूरी तरह काम कर रहे हैं।

एम्स का इतिहास पंडित नेहरू के कार्यकाल तक जाता है एम्स जैसी एक स्वास्थ्य संस्थान की देश को जरुरत है ये बात पहली बार साल 1956 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार को समझ आई।

तब स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर हुआ करती थीं. कहते हैं कि पहला अस्पताल बनना कोलकता (तब के कैलकटा) में था लेकिन वहां के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिधान चंद्र रॉय ने अड़ंगा लगा दिया और फिर एम्स दिल्ली में बना. इसके बाद एम्स के हवाले से अगले करीब साढ़े चार दशकों तक सन्नााटा छाया रहा।

2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाल किले की प्राचीर से ‘प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना’ के तहत देश में एम्स जैसे और नए संस्थान बनाने की बात की अगले तीन सालों में देश के पिछड़े राज्यों में ये एम्स बनने थे. भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर और ऋषिकेश को इसके लिए चुना गया।

वाजपेयी सरकार ने 6 नए एम्स का ऐलान तो कर दिया लेकिन अगले बरस सरकार बदल गई. इन सभी एम्स की नींव यूपीए सरकार में रखी गई और उन्ही के शासन में बनकर तैयार भी हुई ये और बात की कुछ-कुछ काम मनमोहन सरकार के जाने के बाद भी इन अस्पतालों में होता रहा।

आप पूछेंगे कि तो क्या मनमोहन सरकार ने 1 भी नए एम्स का ऐलान अपने कार्यकाल में नहीं किया? जवाब है ऐसा नहीं मनमोहन सिंह की सरकार ने 2009 में उत्तर प्रदेश के रायबरेली में एम्स की घोषणा की लेकिन इसकी स्थापना 2018 में हुई जब देश में NDA की सरकार आ चुकी थी रायबरेली एम्स की नींव हालांकि 2013 ही में पड़ गई थी जब सोनिया गांधी ने भूमि पूजन कर काम की शुरुआत कर दी।

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