दुनिया की पहली ‘अवज़नी’ मूर्ति! रीवा का भैरव बाबा मंदिर बना आस्था का अद्वितीय केंद्र
रीवा के गुढ़ में बना भव्य भैरव बाबा मंदिर 2 करोड़ की लागत से तैयार हुआ है, जिसकी रहस्यमयी मूर्ति का वजन आज तक कोई नहीं जान पाया — आस्था का अद्भुत केंद्र।

मध्य प्रदेश के रीवा जिले में स्थित गुढ़ थाना क्षेत्र का भैरव बाबा मंदिर अब अपनी भव्यता, रहस्यमयी मूर्ति और गहरी धार्मिक आस्था के कारण पूरे प्रदेश में चर्चित हो गया है। यह मंदिर 2 करोड़ रुपए की लागत से अत्यंत भव्य रूप में नवनिर्मित हुआ है। यह सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि जनविश्वास, लोक परंपराओं और चमत्कारी अनुभवों का संगम बन गया है।
🛕 भव्य निर्माण ने बदली मंदिर की तस्वीर
नवनिर्मित भैरव बाबा मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक हिंदू शैली में की गई है। मंदिर में उकेरे गए शिल्प और नक्काशी इसकी धार्मिक गरिमा को और अधिक बढ़ाते हैं।
मंदिर का प्रमुख गुम्बद दूर से ही दिखाई देता है और श्रद्धालुओं को खींच लाता है।
परिसर में सभा मंडप, ध्यान केंद्र, प्रसाद वितरण स्थल, जलकुंड और पार्किंग की सुविधाएं जोड़ी गई हैं।
रात में जब मंदिर को रोशनी से सजाया जाता है, तब इसका सौंदर्य और भी दिव्य प्रतीत होता है।
इस नवनिर्माण के पीछे श्रद्धालुओं और समाजसेवियों की बड़ी भूमिका रही है, जिन्होंने जनसहयोग और भक्ति के माध्यम से इसे भव्य रूप दिलवाया।
🔱 रहस्यमयी मूर्ति: जिसका वजन आज तक कोई नहीं माप सका
मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण है यहाँ विराजित भैरव बाबा की प्राचीन मूर्ति, जिसे लेकर अनेक रहस्यमयी और अद्भुत मान्यताएं प्रचलित हैं।
यह विश्व की ऐसी पहली मूर्ति मानी जाती है जिसका वजन आज तक कोई नहीं माप सका।
कई बार प्रशासन और स्थानीय लोग मिलकर इसे उठाने का प्रयास कर चुके हैं, लेकिन इसकी विशालता और स्थायित्व के आगे सभी प्रयास विफल हुए।
लोगों का विश्वास है कि यह मूर्ति स्वयंभू (स्वतः प्रकट हुई) है और इसमें दिव्य शक्ति निवास करती है।
इस मूर्ति की रहस्यमय विशेषताएं इसे सामान्य मंदिरों से अलग करती हैं और इसे तीर्थ के रूप में स्थापित करती हैं।
🕉️ भैरव बाबा: रक्षक, न्यायाधीश और संकटमोचक
भैरव बाबा हिंदू धर्म में शिव के रौद्र रूप माने जाते हैं। उन्हें संकटों से मुक्ति देने वाला और बुरी शक्तियों को नष्ट करने वाला देवता माना गया है।
काल भैरव को समय और मृत्यु का नियंत्रक भी कहा जाता है।
तंत्र साधना, नजर दोष, बाधा निवारण और न्याय प्राप्ति के लिए यहाँ विशेष पूजा की जाती है।
बाबा के वाहन कुत्ते को प्रसाद चढ़ाने की परंपरा है, जिसे विशेष पुण्यकारी माना गया है।
कई श्रद्धालु यहाँ आकर अपनी मनोकामनाएं पूरी होने के अनुभव साझा करते हैं। यह स्थान लोगों के लिए आस्था और समाधान का केंद्र बन गया है।
🙏 जनमानस में गहरी आस्था और परंपराएं
गुढ़ और आस-पास के गांवों के लोग इस मंदिर को जाग्रत स्थल मानते हैं। हर मंगलवार, शनिवार और विशेष पर्वों पर यहाँ भारी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।
कालाष्टमी, भैरव अष्टमी, नवरात्रि और भैरव जयंती जैसे पर्वों पर विशाल भंडारों और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
भक्त यहाँ नींबू-मिर्ची, नारियल, काले तिल और काले कपड़े अर्पण कर बाबा से संकटमोचन की प्रार्थना करते हैं।
🌄 धार्मिक पर्यटन की ओर एक नई दिशा
रीवा जिला प्रशासन अब इस मंदिर को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है।
मंदिर परिसर को और विकसित किया जा रहा है।
यात्रियों के लिए विश्राम गृह, सूचना केंद्र और लोक कला मंच जैसे कार्य प्रस्तावित हैं।
मंदिर के आस-पास स्थानीय हस्तशिल्प, पूजन सामग्री और ग्रामीण बाजार भी सक्रिय हो रहे हैं, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।
गुढ़ का भैरव बाबा मंदिर अब केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि आस्था, चमत्कार और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। इसकी मूर्ति का रहस्य, धार्मिक मान्यताएं, और स्थानीय श्रद्धा इसे एक अनोखा तीर्थ स्थल बनाते हैं।
जो लोग जीवन में समाधान, शांति और शक्ति की तलाश में हैं, उनके लिए यह मंदिर न केवल एक धार्मिक पड़ाव है, बल्कि एक अनुभव है—जिसे एक बार जरूर जीना चाहिए।