मध्यप्रदेश

किसानों के लिए बड़ी राहत: मध्य प्रदेश सरकार भरेगी डिफाल्टर किसानों का ब्याज

मुख्यमंत्री मोहन यादव का यह कदम निश्चित ही प्रदेश के लाखों किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य के किसानों को एक बड़ी राहत देते हुए ऐसा ऐतिहासिक फैसला लिया है, जो उनके आर्थिक भविष्य को मजबूत बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। उन्होंने घोषणा की है कि वे किसान जो 31 मार्च 2025 तक सहकारी बैंकों से लिया गया कर्ज चुका नहीं पाए और डिफाल्टर घोषित हो गए, उनके ब्याज की राशि अब राज्य सरकार वहन करेगी। यह फैसला राज्यभर के लाखों किसानों को न केवल आर्थिक बोझ से राहत दिलाएगा, बल्कि उन्हें दोबारा आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी देगा।

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किसानों के साथ संवाद से निकला समाधान

यह फैसला तब लिया गया जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मुलाकात भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधिमंडल से हुई। इस बैठक में किसानों की कई प्रमुख समस्याओं को लेकर चर्चा हुई, जिसमें कर्ज डिफाल्ट करने वाले किसानों की स्थिति प्रमुख विषय रही। किसान संघ ने मुख्यमंत्री को बताया कि कई किसान केवल ब्याज की बढ़ती रकम के कारण परेशान हैं और समय पर मूलधन न चुका पाने की वजह से वे डिफाल्टर की श्रेणी में आ गए हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने तुरंत निर्णय लेते हुए ऐलान किया कि ऐसे किसानों का ब्याज राज्य सरकार द्वारा भरा जाएगा।

4,523 सहकारी समितियों से मिलती है कृषि ऋण सुविधा

मध्य प्रदेश में कुल 4,523 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां हैं, जो किसानों को खाद, बीज, कीटनाशक और अन्य कृषि संबंधित आवश्यकताओं के लिए ऋण प्रदान करती हैं। आमतौर पर ये ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर दिए जाते हैं, लेकिन समय पर चुकौती न होने पर इस पर ब्याज लगने लगता है। यही ब्याज धीरे-धीरे किसानों पर बोझ बन जाता है। डिफाल्टर की श्रेणी में आना न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है, बल्कि उनका अगला ऋण लेने का रास्ता भी बंद हो जाता है।

मुख्यमंत्री द्वारा घोषित इस फैसले से वे किसान जो ऋण की मूल राशि तो चुकाना चाहते हैं लेकिन ब्याज के बोझ से दबे हुए हैं, उन्हें एक नई शुरुआत का मौका मिलेगा।

भू-अधिग्रहण पर भी उठी किसान संघ की आवाज

भारतीय किसान संघ ने केवल कर्ज माफी की बात नहीं की, बल्कि भूमि अधिग्रहण से संबंधित मुद्दों पर भी मुख्यमंत्री से चर्चा की। किसान प्रतिनिधियों ने आग्रह किया कि किसी भी भूमि अधिग्रहण से पहले किसानों की सहमति अनिवार्य होनी चाहिए। बिना उनकी राय लिए उनकी जमीन अधिग्रहित करना न केवल अनुचित है, बल्कि यह उनके आजीविका के अधिकार का भी हनन है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस सुझाव को गंभीरता से लिया और आश्वासन दिया कि किसानों के हितों को सर्वोपरि रखा जाएगा और किसी भी प्रकार का भूमि अधिग्रहण उनकी सलाह के बिना नहीं किया जाएगा।

कर्ज माफी नहीं, ब्याज भुगतान – एक संतुलित कदम

यह कदम सरकार द्वारा पूर्ण कर्ज माफी नहीं है, बल्कि केवल ब्याज के भुगतान की जिम्मेदारी ली गई है। इसका उद्देश्य यह है कि किसान खुद जिम्मेदारी से मूलधन चुका सकें, जबकि सरकार उन्हें ब्याज के बोझ से मुक्त करके आगे बढ़ने का अवसर दे। इस योजना से ना सिर्फ किसानों को राहत मिलेगी, बल्कि राज्य की वित्तीय स्थिरता भी बनी रहेगी, क्योंकि मूलधन की वसूली फिर भी जारी रहेगी।

किसानों के चेहरों पर लौटी मुस्कान

मुख्यमंत्री के इस फैसले के बाद राज्य के अनेक किसान संगठनों ने इसका स्वागत किया है। खेतों में मेहनत करने वाले किसानों के चेहरों पर फिर से उम्मीद की किरण दिखाई देने लगी है। एक छोटे किसान के लिए भी ब्याज की राशि बड़ी हो सकती है और समय पर भुगतान न कर पाने की स्थिति में उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अब जब सरकार खुद उनके साथ खड़ी है, तो वे खुद को अकेला नहीं महसूस कर रहे।

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आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम

राज्य सरकार की यह योजना केवल एक आर्थिक सहायता योजना नहीं है, बल्कि यह किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक ठोस पहल है। इससे किसानों का आत्मविश्वास बढ़ेगा, वे नई तकनीक और योजनाओं को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे और राज्य की कृषि उत्पादकता में भी इजाफा होगा। इसके साथ ही राज्य सरकार की किसान-हितैषी छवि भी और मजबूत हुई है।

निष्कर्ष: भरोसे की एक नई शुरुआत

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का यह कदम राज्य के किसानों के लिए एक नई सुबह लेकर आया है। यह निर्णय न केवल आर्थिक राहत प्रदान करता है, बल्कि यह दर्शाता है कि सरकार अपने किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। अब समय है कि किसान इस मौके का लाभ उठाएं, समय पर अपने कर्ज का निपटारा करें और कृषि क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने की ओर कदम बढ़ाएं।

इस योजना से जुड़े विस्तृत दिशा-निर्देश और पात्रता की जानकारी राज्य सरकार जल्द ही जारी करेगी, ताकि हर पात्र किसान इस राहत योजना का लाभ उठा सके। यह पहल निश्चित रूप से अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बनेगी।

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