मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में बड़ा संकट खड़ा हो गया है। प्रदेशभर में संविदा स्वास्थ्यकर्मियों और अधिकारियों की हड़ताल के चलते स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह चरमरा गई हैं। अब सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, भोपाल
के मिशन संचालक ने सभी जिलों के कलेक्टरों और चिकित्सा अधिकारियों को पत्र जारी कर अनुशासनात्मक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इस आदेश के बाद विभाग में हड़कंप मच गया है और इसे कर्मचारियों की बर्खास्तगी की चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है।
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हड़ताल का आज पांचवां दिन है। 22 अप्रैल से शुरू हुए इस आंदोलन में प्रदेश के सभी जिलों के 30,000 से अधिक संविदा कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार ने उनसे किए गए वादों को अब तक
पूरा नहीं किया है, जिससे उनमें जबरदस्त नाराजगी है। मध्यप्रदेश संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ का दावा है कि इस हड़ताल में 32,000 से ज्यादा कर्मचारी, जिसमें आशा कार्यकर्ता और एएनएम भी शामिल हैं, हिस्सा ले रहे हैं।
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गांवों से लेकर शहरों तक स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका व्यापक असर पड़ा है। कई स्वास्थ्य केंद्रों पर ताले लटक गए हैं, टीकाकरण अभियान थम चुका है और कई अस्पतालों में ओपीडी और आपातकालीन सेवाएं भी बाधित हो गई हैं। मरीजों को मजबूरी में निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।
सरकार अब हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई करने जा रही है। मिशन संचालक द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि हड़ताल में शामिल संविदा कर्मियों के खिलाफ तत्काल प्रभाव से उचित कार्रवाई की जाए।
हालांकि, संविदा कर्मचारी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं और आंदोलन को जारी रखने का ऐलान कर चुके हैं। अब देखना होगा कि सरकार और हड़ताली कर्मचारियों के बीच यह टकराव आगे बढ़ता है।