मध्यप्रदेश में सरकारी तंत्र की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। पूरे प्रदेश में 44 हजार 810 कर्मचारियों को इस समय वेतन नहीं मिल पा रहा है। वजह साफ है—इन कर्मचारियों का डाटा समय पर अपडेट नहीं किया गया। स्टेट फाइनेंशियल इंटेलिजेंस सेल की जांच में इस गंभीर गड़बड़ी का खुलासा हुआ है, जिससे साफ हो गया है कि सिस्टम में भारी अनियमितता बनी हुई है।
जिन कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा, उनमें से 37 हजार 26 नियमित और 8 हजार 784 गैर-नियमित कर्मचारी हैं। इस गड़बड़ी के लिए डीडीओ (ड्रॉइंग एंड डिस्बर्सिंग ऑफिसर) को जिम्मेदार ठहराया गया है।
क्यों नहीं हुआ डाटा अपडेट
जांच में सामने आया है कि त्यागपत्र देने वाले, सेवानिवृत्त हो चुके, प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए और मृत कर्मचारियों का डाटा सिस्टम में समय पर अपडेट नहीं किया गया। इतना ही नहीं, कुछ कर्मचारियों के तो एम्प्लॉयी कोड तक दर्ज नहीं हैं, जिससे उनकी पहचान और वेतन प्रक्रिया दोनों अटक गई हैं।
आयुक्त कोष एवं लेखा विभाग के अनुसार, डाटा अपडेट करना एक निरंतर प्रक्रिया है और इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही पूरी व्यवस्था को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, अब तक की जांच में किसी तरह की संदिग्ध गतिविधि सामने नहीं आई है।
सरकार ने दिए सख्त निर्देश
राज्य सरकार ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी डीडीओ को निर्देशित किया है कि वे कोषालय अधिकारियों के माध्यम से कर्मचारियों का डाटा तुरंत अपडेट करें। खास तौर पर एम्प्लॉयी कोड के सामने उचित फ्लैगिंग और एग्जिट एंट्री करने के आदेश दिए गए हैं।
अगर इन निर्देशों का पालन नहीं होता है, तो लापरवाह डीडीओ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसका उद्देश्य है कि भविष्य में कोई भी कर्मचारी वेतन से वंचित न रहे।