मौत बन गया पानी का गड्ढा: सतना और सीधी में पांच मासूम बच्चियों की डूबकर मौत
मध्यप्रदेश के दो जिलों में एक ही दिन पांच बच्चियों की पानी में डूबकर मौत, अवैध निर्माण और सुरक्षा में लापरवाही बनी जानलेवा

मध्य प्रदेश एक बार फिर बच्चों की दर्दनाक मौतों का गवाह बना। सतना और सीधी जिलों में शनिवार को हुई दो अलग-अलग घटनाओं में पांच बच्चियों की पानी में डूबने से मौत हो गई। ये हादसे सिर्फ दो परिवारों को ही नहीं, पूरे समाज को झकझोर देने वाले हैं।
सतना: तीन बहनों की एक साथ जलसमाधि
सतना जिले के रिछुल गांव में पांच वर्षीय जुड़वां बहनों और उनकी आठ साल की बड़ी बहन की मौत ने पूरे गांव को सन्न कर दिया। तीनों बहनें घर से नहाने के लिए निकली थीं लेकिन वापस नहीं लौटीं। खोजबीन के बाद उनका शव एक पानी से भरे गहरे गड्ढे में मिला, जो सड़क निर्माण के लिए अवैध रूप से खोदा गया था।
गांव की सरपंच संध्या उपाध्याय ने बताया कि यह गड्ढा एक ठेकेदार द्वारा बिना किसी सरकारी अनुमति के खोदा गया था। हाल ही में हुई बारिश के कारण वह गड्ढा पानी से भर गया और जानलेवा बन गया। ग्रामीणों ने दोषी ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया।
सीधी: फूल बीनते-बीनते दो बहनें चली गईं जिंदगी से दूर
सीधी जिले के पांड गांव में रामसखा साहू की दो बेटियां, जो 9 और 11 साल की थीं, घर से फूल इकट्ठा करने निकली थीं। खेलने के दौरान वे तालाब में नहाने चली गईं और फिर कभी वापस नहीं लौटीं। उनकी फूलों की टोकरी देखकर एक ग्रामीण को शक हुआ और जब सूचना पुलिस को दी गई, तो दोनों बच्चियों के शव पानी से बाहर निकाले गए।
हर साल डूबते हैं हज़ारों मासूम
यह कोई पहली या इकलौती घटना नहीं है। मध्यप्रदेश में हर साल हजारों बच्चे ऐसी ही डूबने की घटनाओं में अपनी जान गंवा देते हैं। खुले और असुरक्षित जलस्त्रोत, लापरवाही और सुरक्षा उपायों की कमी इस त्रासदी के मुख्य कारण हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बारिश के मौसम या गर्मियों में नहाने और खेलते समय बच्चों के डूबने की घटनाएं तेजी से बढ़ जाती हैं। लेकिन ठोस कदम आज भी गायब हैं।
समाज और सिस्टम दोनों जिम्मेदार
इन घटनाओं के पीछे सिर्फ किस्मत को दोष देना गलत होगा। अवैध निर्माण, अनदेखी सुरक्षा मानक और प्रशासन की ढिलाई ऐसी मौतों को आम बना रही है। सवाल यह है कि कब तक मासूम जिंदगी यूं ही मौत के आगोश में जाती रहेंगी।