Diwali 2024 : अमरकंटक में रोशनी का त्योहार मनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। जिसके लिए मंदिर की साफ-सफाई और रंग-रोगन का काम पूरा हो चुका है और मंदिर परिसर को गुलाबी रोशनी से सजाया जा रहा है। कार्तिक माह शुरू होते ही अमरकंटक में दीपोत्सव की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। इस बार भी उसी तरह से तैयारी शुरू हो गई है, जो अंतिम चरण में है।
नर्मदा मंदिर के पुजारी आचार्य धनेश द्विवेदी बंदे महाराज ने बताया कि नर्मदा मंदिर समिति ने दिवाली (दिवाली 2024) उत्सव मनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस साल मंदिर को 20 हजार दीपों से सजाया जाएगा। दीपकों को एकत्र कर भंडार में रखा जाता है, जहां दीपकों को मां नर्मदा के जल से शुद्ध करके घी से जलाया जाता है।
नर्मदा मंदिर परिसर स्थित मंदिर और पूरे परिसर में केवल घी के दीपक जलाए जाएंगे। पिछले 75 वर्षों से गौरेला निवासी प्रजापति परिवार द्वारा भी दीपक की आपूर्ति की जाती है।
मां नर्मदा की महालक्ष्मी के रूप में पूजा की जाएगी
मंदिर के पुजारी पंडित धनेश द्विवेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि दिवाली पर्व पर मां नर्मदा की दूसरे रूप में पूजा की जाती है। जहां दिवाली की शाम स्नान के दौरान मां को धूप, दीप और सुगंध अर्पित की जाती है और इसके बाद पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां नर्मदा लक्ष्मी के रूप में भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और उन्हें धन-धान्य से भर देती हैं।
दीपदान से मां की पूजा की जाती है
दीपावली पर ऊपर अमरकंटक में भी दीपदान किया जाता है। मंदिर के पुजारी पंडित धनेश द्विवेदी ने बताया कि कार्तिक माह शुरू होने पर छत्तीसगढ़ के श्रद्धालु एक माह तक यहां रहकर कल्पवास कर देवी मां की पूजा-अर्चना करते हैं। फिर कार्तिक पूर्णिमा पर मां नर्मदा में स्नान के साथ ही दिवाली पर दीपदान कर भोग प्रसाद और भंडार का आयोजन किया जाता है। जिसके लिए श्रद्धालु अमरकंटक नर्मदा मंदिर के साथ ही रामघाट और मां नर्मदा के विभिन्न घाटों पर दीपदान कर मां नर्मदा को महालक्ष्मी के रूप में पूजते हैं।
पूजा के बाद होती है आतिशबाजी
मां नर्मदा को महालक्ष्मी के रूप में पूजने के बाद मंदिर परिसर में आतिशबाजी भी की जाती है। साथ ही, मंदिर के बाहर हजारों तेल के दीपक जलाकर दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। मंदिर को गुलाबी रोशनी से सजाया गया है, जिससे शाम के समय मंदिर की सुंदरता और भी बढ़ जाती है।