मध्यप्रदेश

बिजली हुई महंगी: मध्य प्रदेश के उपभोक्ताओं को अब जेब पर और पड़ेगा बोझ

बिजली बिल में बढ़ोतरी और ब्याज दर में कटौती ने बढ़ाई आम जनता की चिंता,अब जिले स्तर पर ही निपटेंगे छोटे बिजली विवाद, इंदौर आने की जरूरत नहीं,विजिलेंस विभाग की सख्ती से खत्म हुई दलालों की पकड़

मध्य प्रदेश के लोगों को पहले से महंगाई का सामना करना पड़ रहा है, और अब बिजली दरों में इजाफा उनके बजट पर और भारी पड़ने वाला है। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने न सिर्फ बिजली के रेट बढ़ा दिए हैं, बल्कि सिक्योरिटी डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज में भी कटौती कर दी है।

अब उपभोक्ताओं को सिक्योरिटी डिपॉजिट पर पहले मिलने वाला 6.75% ब्याज घटाकर 6.50% कर दिया गया है। यह बदलाव भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक दर कम किए जाने के बाद लागू किया गया है। वहीं अगर जमा राशि पर मिलने वाला ब्याज 10,000 रुपये से ज्यादा हुआ तो उस पर 10% टीडीएस काटा जाएगा। यदि उपभोक्ता ने पैन कार्ड नहीं दिया या वह आधार से लिंक नहीं है, तो टीडीएस 20% तक कटेगा।

पश्चिम क्षेत्र में बदला विजिलेंस का रवैया

इंदौर से मिली जानकारी के मुताबिक, पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में विजिलेंस विंग की सख्ती के बाद माहौल पूरी तरह बदल गया है। पहले जहां दलालों की भीड़ और उपभोक्ताओं की लंबी कतारें देखी जाती थीं, अब नए नियमों के चलते बाहरी तत्वों की एंट्री पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।

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बिजली कंपनी के मुख्य सतर्कता अधिकारी कामेश श्रीवास्तव ने बताया कि 60,000 से ज्यादा केस फिलहाल विभाग के पास लंबित हैं, जिनमें से अधिकांश छोटे मामलों के हैं। अब उपभोक्ताओं को हर केस के लिए इंदौर आने की ज़रूरत नहीं होगी। जनवरी से लागू नए नियमों के तहत एक लाख रुपये तक के बिजली चोरी या अनियमितता के मामलों की सुनवाई और निवारण जिले स्तर पर ही कार्यपालन यंत्री द्वारा किया जाएगा।

नए बदलावों का उद्देश्य

इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा देना और प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाना है। हालांकि, बढ़ती दरों और ब्याज में कटौती से उपभोक्ताओं को राहत मिलने की बजाय और बोझ महसूस हो सकता है।

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