सीधी में वन विभाग की बड़ी सफलता: तीन लोगों की जान लेने वाला हाथी पकड़ा गया

शहडोल में तीन लोगों की जान लेने वाले जंगली हाथी को वन विभाग ने संजय टाइगर रिजर्व में सुरक्षित रेस्क्यू किया। अब बांधवगढ़ शिविर में उसका स्वास्थ्य और व्यवहार परीक्षण किया जाएगा

मध्य प्रदेश के सीधी जिले स्थित संजय टाइगर रिजर्व में बुधवार को वन विभाग ने एक उत्पाती जंगली हाथी को सफलतापूर्वक पकड़ने में बड़ी सफलता हासिल की। यह हाथी उत्तर शहडोल डिवीजन से ब्योहारी रेंज होते हुए संजय टाइगर रिजर्व में प्रवेश कर गया था। इससे पहले शहडोल डिवीजन में इस हाथी की वजह से तीन लोगों की जान चली गई थी, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ था।

हाथी की बढ़ती गतिविधियों और मानवीय क्षति को देखते हुए वन विभाग ने समय रहते सतर्कता बरतते हुए विशेष निगरानी दल को तैनात कर दिया। विभाग ने हाथी की गतिविधियों पर पैनी नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरों से लेकर वन रक्षकों तक की तैनाती सुनिश्चित की। साथ ही, संजय टाइगर रिजर्व और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर्स के नेतृत्व में एक विशेषज्ञों की टीम गठित की गई, जिसने पूरे क्षेत्र का गहन सर्वेक्षण किया।

इस निगरानी के दौरान विशेषज्ञों की टीम ने हाथी की दिनचर्या, आवाजाही और व्यवहार का विश्लेषण किया। कई दिनों की मेहनत और सूझबूझ के बाद आखिरकार बुधवार को हाथी को एक सुरक्षित तरीके से घेरकर पकड़ लिया गया। रेस्क्यू ऑपरेशन गुरुवार दोपहर 2 बजे तक सफलतापूर्वक पूरा हुआ। वन विभाग की इस कार्रवाई की सराहना की जा रही है क्योंकि यह ऑपरेशन बेहद संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण था।

पकड़े जाने के बाद हाथी को सबसे पहले पांडी हाथी शिविर में लाया गया, जहां उसका प्रारंभिक स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इसके बाद उसे विशेष वाहन के जरिए बांधवगढ़ हाथी शिविर में भेजा गया, जहां अब उसका विस्तृत स्वास्थ्य परीक्षण और व्यवहार विश्लेषण किया जाएगा। विशेषज्ञ यह मूल्यांकन करेंगे कि हाथी में आक्रामक प्रवृत्ति क्यों विकसित हुई और क्या उसे किसी सुरक्षित प्राकृतिक आवास में पुनर्वासित किया जा सकता है।

इस पूरे अभियान में वन विभाग की टीम ने जिस तरह से जान जोखिम में डालकर संयम और कुशलता से कार्य किया, वह काबिले तारीफ है। स्थानीय निवासियों ने भी राहत की सांस ली है, क्योंकि अब उन्हें हाथी के उत्पात से छुटकारा मिल गया है। वहीं, विभाग इस बात पर भी विचार कर रहा है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

यह घटना वन्यजीवों और मानवों के बीच बढ़ते संघर्ष की एक और मिसाल है। वन क्षेत्र सिमटने और भोजन-पानी की कमी जैसे कारणों से जंगली जानवर अक्सर बस्तियों की ओर रुख करने लगे हैं। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि वन्यजीवों के लिए संरक्षित क्षेत्रों को बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जाए और स्थानीय लोगों को भी इस दिशा में जागरूक किया जाए।

संजय टाइगर रिजर्व में चलाया गया यह रेस्क्यू ऑपरेशन वन विभाग की सतर्कता, समर्पण और रणनीतिक योजना का प्रत्यक्ष प्रमाण है। इससे यह संदेश भी जाता है कि मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए सजगता और संवेदनशीलता दोनों की आवश्यकता है।

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