मध्यप्रदेश

फर्जी अंकसूची के आधार पर लिपिक पद पर कार्यरत महिला के खिलाफ FIR दर्ज

Fraud News : सर्विस पोस्ट पर एक महिला ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पिछले तीन साल से शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल कर रही थी। जांच के बाद बेलबाग थाने की पुलिस ने आरोपी अनीसा बेगम संयुक्त संचालक लोक शिक्षण जबलपुर के कार्यालय में लिपिक के पद पर कार्यरत महिला के खिलाफ फर्जी अंकसूची के आरोप में मामला दर्ज किया है। पुलिस के पास कटनी जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने लिखित शिकायत दी है।

जिला शिक्षा अधिकारी कटनी ने अपने जांच प्राचार्य शासकीय उमा विद्याल बिलहरी को कक्षा 8वीं तथा संकुल प्राचार्य शासकीय कन्या उमा विद्यालय ब्यौहार बाग को महिला द्वारा प्रस्तुत अंकसूची सत्यापन के लिए पत्र जारी किए गए थे। संकुल प्राचार्य ने कक्षा 5वीं की अंकसूची से संबंधित अभिलेख विद्यालय में नहीं होना तथा प्राचार्य शास.उमा विद्यालय बिलहरी के पत्र द्वारा कक्षा 8वीं परीक्षा संबंधी अभिलेख विद्यालय में नहीं होने की जानकारी दी गई। उपरोक्त तथ्यों के आधार पर एवं अंकसूची के अवलोकन परं जन्मतिथि एवं लिखावट मे भिन्नता तथा कांट-छांट पाए जाने पर कूटरचित अकसूचियां होना पाई गई हैं।

जांच के दौरान अनीसा बेगम ने पढ़ने-लिखने में असमर्थता भी जाहिर की। अनीसा बेगम की मार्कशीट का सत्यापन कार्यालय शिक्षा अधिकारी जबलपुर से भी हो चुका है। उनके द्वारा लिखित प्रारंभिक प्रमाणपत्र परीक्षा अंकसूची में जन्म तिथि 11-06-64 अंकित है, जबकि विभागीय पूर्व माध्यमिक परीक्षा 1997 में  जन्म तिथि 07-07-65 अंकित किया गया। इसमें प्राइमरी सर्टिफिकेट परीक्षा उत्तीर्ण करने का वर्ष 1997 का भी उल्लेख है और अध्ययन किए गए स्कूल का नाम और परीक्षा केंद्र का नाम रिजर्व पुलिस लाइन्स बताया गया है। स्वाध्यायी पर एक टिक मार्क दर्शाया गया है, जहां स्वाध्यायी अभ्यर्थी की अंकसूची में संस्था का नाम अंकित नहीं है।

जब सर्विस बुक चेक की गई तो उसमें केवल पांचवीं पास का जिक्र है। अन्य शेष जानकारी से संबंधित कोई लेख नहीं है जहां कक्षा 8वीं उत्तीर्ण 1997 एस.पी.एम. परीक्षा जबलपुर तृतीय सभी विषयों में अंकित है। फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करने के कारण उनका नियुक्ति आदेश 08.05.95 को जारी किया गया था। अनीसा बेगम ने 1997 की कक्षा 5 की मार्कशीट पेश करके 1995 में कार्यालय में नौकरी प्राप्त की। उपरोक्त जांच के आधार पर आरोपी महिला के विरूद्ध भारतीय दण्ड विधान की धारा 420, 467, 468, 471 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है।

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