संजय गांधी मेडिकल कॉलेज में लापरवाही का कहर: प्रतिबंधित इंजेक्शन से पांच प्रसूताओं की हालत बिगड़ी
दो महीने पहले बैन हुआ इंजेक्शन फिर से इस्तेमाल में एक महिला की हालत गंभीर, बाकी की याददाश्त गई,स्टोरकीपर सस्पेंड, बाकी अफसर अब भी बाहर कार्रवाई से

रीवा के संजय गांधी मेडिकल कॉलेज में एक बेहद गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है, जिसने चिकित्सा प्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां पांच प्रसूताओं को वह एनेस्थीसिया इंजेक्शन लगा दिया गया, जिसे दो महीने पहले ही खतरनाक और अमानक घोषित कर प्रतिबंधित किया जा चुका था।
यह इंजेक्शन गुजरात की फार्मा कंपनी रेडिएंट पैरेंटेरल्स लिमिटेड द्वारा सप्लाई किया गया था। दिसंबर 2024 में परीक्षण के बाद इस बैच को असुरक्षित करार देते हुए कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था। बावजूद इसके, 26 फरवरी को पांच महिलाओं की डिलीवरी के दौरान यही इंजेक्शन इस्तेमाल कर लिया गया।
इस लापरवाही का परिणाम यह हुआ कि पांचों महिलाओं की याददाश्त चली गई और एक की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है। यह चौंकाने वाला मामला अब सार्वजनिक हुआ है, जिसने स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा दिया है।
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जांच में खुलासा: स्टोरकीपर की चूक, सिस्टम की खामियां
जांच के दौरान पता चला कि अस्पताल के स्टोरकीपर प्रवीण उपाध्याय ने गलती से वही प्रतिबंधित बैच जारी कर दिया था। उसे तत्काल सस्पेंड कर दिया गया है। हैरानी की बात यह है कि स्टोर में न तो तापमान की मॉनिटरिंग हो रही थी, न ही कोई लॉगबुक या रिकॉर्ड संधारित किया जा रहा था।
अमानक दवाओं को सामान्य दवाओं के साथ ही रखा गया था, जिससे उनकी पहचान कर पाना मुश्किल हो गया था।
कंपनी पर सख्ती, लेकिन प्रशासन मौन
रेडिएंट पैरेंटेरल्स लिमिटेड पर ₹3.01 लाख की रिकवरी का नोटिस जारी कर दिया गया है और कंपनी को पांच साल के लिए डिबार व दो साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है।
दूसरी ओर, इतने बड़े हादसे के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे पूरे तंत्र की जवाबदेही पर सवाल उठ रहे हैं।
गायब इंजेक्शन बना नया रहस्य
जब 4 मार्च को जांच टीम पहुंची, तो 100 में से 70 इंजेक्शन वायल जब्त किए जा सके। बाकी 30 इंजेक्शन कहां गए, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। यह स्थिति और भी चिंताजनक है कि कहीं और भी मरीजों को ये दवा न दी जा चुकी हो।
स्वास्थ्य विभाग का पक्ष
हेल्थ कॉर्पोरेशन के एमडी मयंक अग्रवाल का कहना है कि अक्टूबर 2024 में विदिशा मेडिकल कॉलेज से शिकायत मिलने के बाद से दवा पर रोक थी। दिसंबर में रिपोर्ट के बाद कंपनी ब्लैकलिस्ट की गई थी। इसके बावजूद फार्मासिस्ट ने दवा जारी की, इसलिए सख्त कार्रवाई की गई है।