बिहार में पहली बार मोबाइल से वोटिंग: वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांग और प्रवासी उठा सकेंगे फायदा
बिहार बना पहला राज्य जहां फोन ऐप से वोटिंग संभव, सुरक्षा के लिए ब्लॉकचेन और फेसमैचिंग जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में वोटिंग के तरीके में ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है। बिहार देश का पहला राज्य बनने की ओर है, जहां मतदाता मोबाइल फोन से ही अपना वोट डाल सकेंगे। बिहार राज्य चुनाव आयुक्त दीपक प्रसाद ने शुक्रवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि यह सुविधा उन मतदाताओं के लिए होगी, जो किसी वजह से मतदान केंद्र तक नहीं पहुंच पाते, जैसे – वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांगजन, गर्भवती महिलाएं और दूसरे राज्यों में रहने वाले मतदाता।
ऑनलाइन वोट डालने के लिए मतदाताओं को अपने फोन में E-SECBHR नाम का ऐप इंस्टॉल करना होगा, जिसे सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (CDAC) ने विकसित किया है। इस ऐप को अपने मोबाइल नंबर से मतदाता सूची में लिंक करना जरूरी होगा। फिलहाल यह ऐप सिर्फ एंड्रॉयड फोन पर उपलब्ध है। चुनाव आयोग ने 10 से 22 जून तक जागरुकता अभियान चलाकर मतदाताओं को इस सुविधा के बारे में जानकारी दी थी।
मध्यप्रदेश में पुलिस महकमे में बड़ा फेरबदल, 39 अधिकारियों के तबादले
कैसे होगी ई-वोटिंग की सुरक्षा
सबसे बड़ा सवाल ई-वोटिंग की सुरक्षा को लेकर ही उठता है। इस पर बिहार चुनाव आयोग ने भरोसा दिलाया है कि वोटिंग प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित और पारदर्शी रहेगी। एक मोबाइल नंबर से केवल दो पंजीकृत मतदाताओं को ही लॉग इन करने की इजाजत होगी। साथ ही वोट डालने से पहले मतदाता की पहचान का सत्यापन किया जाएगा।
चुनाव आयोग ने बताया कि इस प्रक्रिया में ब्लॉकचेन तकनीक, फेस मैचिंग और स्कैनिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल होगा ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचा जा सके। इसके अलावा वीवीपैट की तरह ऑडिट ट्रेल भी रखा जाएगा, जिससे वोटिंग के हर स्टेप की निगरानी और जांच संभव होगी।
जिन मतदाताओं के पास स्मार्टफोन नहीं है, वे बिहार चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर भी ई-वोट डाल सकेंगे।
कितना उत्साह है मतदाताओं में
राज्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि अब तक 10 हजार से ज्यादा मतदाता ई-वोटिंग के लिए पंजीकरण करा चुके हैं और उम्मीद है कि 50 हजार से ज्यादा लोग इस सुविधा का लाभ उठाकर मतदान केंद्र जाने की बजाय ऑनलाइन वोटिंग करेंगे। यह पहल मतदान प्रक्रिया को अधिक सुविधाजनक और समावेशी बनाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।