मध्यप्रदेश

गौसेवा को मिला सम्मान: MP में शुरू हुई कामधेनु योजना, दूध राजधानी बनने की दिशा में बड़ा कदम

मध्यप्रदेश में कामधेनु योजना की शुरुआत, गौसेवा को बढ़ावा और दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के लिए सरकार ने अनुदान राशि भी दोगुनी की

भोपाल में मुख्यमंत्री निवास पर शुक्रवार को आयोजित राज्य स्तरीय गौपालक सम्मेलन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कई अहम घोषणाएं करते हुए मध्यप्रदेश को गौसेवा और दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाने का संकल्प जताया। इस अवसर पर ‘कामधेनु योजना’ का शुभारंभ करते हुए उन्होंने पशुपालन विभाग का नाम बदलकर ‘पशुपालन एवं गौपालन विभाग’ करने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में मध्यप्रदेश को ‘दूध की राजधानी’ के रूप में विकसित किया जाएगा। साथ ही उन्होंने प्रदेश की नदियों को ‘मायका’ बताते हुए जल, जीवन और पशुधन के आपसी संबंध को रेखांकित किया।

गौशालाओं को मिलेगा सीधा लाभ

इस कार्यक्रम में पूरे प्रदेश से आए गौशाला संचालकों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि अब प्रति गौवंश अनुदान की राशि 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये कर दी गई है। इससे गौशालाओं को सीधा लाभ मिलेगा और पशुओं के पोषण एवं देखभाल में सुधार आएगा।

कामधेनु योजना: पशुपालकों के लिए वरदान

नई कामधेनु योजना के अंतर्गत गौपालकों को 25 से 200 गायों के पालन पर सरकार की ओर से सहायता दी जाएगी।

अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग को 33% तक अनुदान मिलेगा।

अन्य वर्गों को 25% तक अनुदान मिलेगा।

इस योजना का उद्देश्य राज्य में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना और गौवंश संरक्षण को प्रोत्साहित करना है।

सतलिया गौ अभ्यारण्य को मिला विशेष सम्मान

सम्मेलन में विश्व के पहले गौ अभ्यारण्य ‘सतलिया’ को ‘आचार्य विद्यासागर जीव दया सम्मान’ से नवाज़ा गया। इस सम्मान के तहत 5 लाख रुपये की राशि और प्रतीक चिह्न प्रदान किया गया। यह पुरस्कार गौसेवा, संवर्धन और संरक्षण के क्षेत्र में सतलिया की उत्कृष्ट भूमिका को मान्यता देने हेतु प्रदान किया गया।

2150 गौशालाएं कर रहीं सेवा

वर्तमान में प्रदेश में 2150 गौशालाएं सक्रिय हैं, जो हजारों गौवंश की देखभाल कर रही हैं। सरकार का उद्देश्य इन संस्थाओं को सशक्त बनाना और गौपालकों की आय में वृद्धि करना है।

मुख्यमंत्री की यह घोषणाएं न केवल पशुपालकों को आर्थिक सहारा प्रदान करेंगी, बल्कि मध्यप्रदेश को गौसेवा का आदर्श मॉडल बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम हैं। कामधेनु योजना और अनुदान वृद्धि से न सिर्फ गौवंश की सेहत सुधरेगी, बल्कि गांवों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

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