जन-कल्याण की नई रफ्तार: ई-केवाईसी, जल संरक्षण और आवास योजनाओं पर सरकार का फोकस
सरकार की जनकल्याण योजनाओं को ज़मीन पर उतारने की कवायद तेज़, ई-केवाईसी से लेकर जल संरक्षण तक पर फोकस

प्रदेश सरकार द्वारा नागरिक कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें कई योजनाओं की प्रगति और निष्पादन की समीक्षा की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वनिधि योजना, जल गंगा संवर्धन अभियान और ई-केवाईसी जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम ज़मीन पर प्रभावी रूप से लागू हों।
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प्रधानमंत्री आवास योजना और स्वनिधि योजना को मुख्यमंत्री डैशबोर्ड में सम्मिलित करते हुए निर्देश दिए गए कि जिन लाभार्थियों को आवास निर्माण की राशि प्रदान की जा चुकी है, वे एक महीने के भीतर निर्माण कार्य पूर्ण करें। यदि कोई हितग्राही राशि लेकर भी निर्माण नहीं करता, तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही कर वसूली की जाएगी। वहीं, स्वनिधि योजना के पात्र लोगों को तुरंत आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने पर ज़ोर दिया गया है।
जल गंगा संवर्धन अभियान की समीक्षा करते हुए नगरों में जल स्रोतों की सफाई, रिचार्ज पिट निर्माण और वर्षा जल संचयन को प्राथमिकता देने की बात कही गई। निर्देश दिए गए कि अभियान के दौरान कम से कम 100 हैंडपंपों में रिचार्ज पिट और 50 घरों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार किया जाए, जिससे आम जनता को जल संरक्षण का संदेश मिले। इसके साथ ही, ट्यूबवेल और कुओं में भी रिचार्ज पिट बनवाने के आदेश दिए गए हैं।
अमृत-2 योजना के अंतर्गत नगरों में उपयुक्त स्थानों पर पार्कों के निर्माण की योजना भी बनाई गई है, ताकि नागरिकों को हरियाली और बेहतर वातावरण मिल सके। साथ ही, नलजल योजना के कार्यों को तीव्र गति से पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं।
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ई-केवाईसी और समग्र आईडी सत्यापन के संदर्भ में भी बैठक में विशेष चर्चा हुई। निर्देश दिए गए कि 30 अप्रैल तक सभी पात्र लाभार्थियों की ई-केवाईसी अनिवार्य रूप से पूरी की जाए। इसके लिए प्रत्येक वार्ड में शिविर लगाए जाएं और हर दिन कम से कम 500 लोगों की ई-केवाईसी कर सत्यापन पोर्टल पर दर्ज किया जाए। खासतौर पर खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों की ई-केवाईसी को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे योजनाओं का लाभ पारदर्शिता और कुशलता से पहुंचाया जा सके।
इस बैठक ने साफ कर दिया कि सरकार जनहितकारी योजनाओं को न केवल कागज़ों में, बल्कि ज़मीन पर भी पूरी प्रतिबद्धता के साथ लागू करना चाहती है। इसके लिए हर स्तर पर सख्ती, निगरानी और परिणामों की समीक्षा की जा रही है, जिससे “सबका साथ, सबका विकास” का उद्देश्य साकार हो सके।