जल संकट के समाधान की ओर बड़ा कदम, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में ऐतिहासिक समझौता
ताप्ती बेसिन ग्राउंड वॉटर रिचार्ज योजना मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की ऐतिहासिक साझेदारी से जल संकट को मिलेगी राहत

देश की सबसे बड़ी भूजल पुनर्भरण (Ground Water Recharge) परियोजना को लेकर शनिवार को मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकारों के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ। भोपाल स्थित कुशाभाऊ ठाकरे अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में इस परियोजना को लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों – डॉ. मोहन यादव (मध्यप्रदेश) और देवेंद्र फडणवीस (महाराष्ट्र) – ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
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यह ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक योजनाओं के बाद मध्यप्रदेश की तीसरी प्रमुख नदी परियोजना है। इसका मुख्य उद्देश्य दोनों राज्यों के जल संकटग्रस्त क्षेत्रों को सिंचाई और स्वच्छ जल की बेहतर सुविधा प्रदान करना है।
परियोजना के मुख्य लाभ
मध्यप्रदेश: खंडवा और बुरहानपुर जिलों के लाखों किसानों को सिंचाई का फायदा मिलेगा। विशेष रूप से बुरहानपुर, नेपानगर, खकनार और खालवा तहसीलों को इसका लाभ मिलेगा।
महाराष्ट्र: अकोला, अमरावती और अन्य जिलों में जहां खारा पानी पीने योग्य नहीं है, वहां अब स्वच्छ पेयजल की सुविधा संभव होगी।
तकनीकी बदलावों से बड़ा फायदा
इस परियोजना के पहले पारंपरिक बांध के निर्माण का प्रस्ताव था, जिसकी वजह से 17,000 हेक्टेयर भूमि प्रभावित होती, जिसमें वन भूमि और टाइगर रिजर्व क्षेत्र भी शामिल था। इसके चलते 73 गांवों की लगभग 14,000 आबादी प्रभावित होती। अब इस अवरोध को पार करते हुए परियोजना को पारंपरिक बांध की जगह भूजल पुनर्भरण तकनीक से क्रियान्वित किया जाएगा, जिससे पर्यावरणीय नुकसान नहीं होगा और जल संचयन भी बेहतर होगा।
भविष्य की राह
दोनों राज्यों के बीच 25 वर्षों बाद यह संयुक्त बैठक हुई है। पिछली बैठक वर्ष 2000 में आयोजित की गई थी। यह समझौता न सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह दर्शाता है कि सहयोग से जल संकट जैसी गंभीर समस्या का समाधान संभव है।