Kota में 23 छात्रों ने की आत्महत्या बच्चों को कोचिंग भेजने से कतराने लगे मां-बाप तब जागी सरकार जानिए वजह?
Kota में 23 छात्रों ने की आत्महत्या बच्चों को कोचिंग भेजने से कतराने लगे मां-बाप तब जागी सरकार जानिए वजह?
एक बेहतर इंजीनियर और डॉक्टर बनने की चाह में मीलों दूर से बच्चे राजस्थान के कोटा आकर नीट आईआईटी व अन्य परीक्षाओं की तैयारी में जुट जाते हैं कुछ समय बीतता है और उनकी मौत का समाचार आ जाता है बीते कुछ सालों में ऐसे कई मामले आए हैं जहां छात्र आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं।
छात्रों Kota Student News के आत्महत्या के बढ़ते मामलों से हर कोई चिंतित है। हर दस दिन में एक छात्र की मौत से सब हैरान है अब तो कोटा को सुसाइड कैपिटल तक कहा जाने लगा है जिला प्रशासन के कई कदम उठाए जाने के बावजूद आत्महत्या के मामलों की संख्या में कमी नहीं आ रही है।
इस बीच आज प्रशासन ने एक और बड़ा कदम उठाया है और तत्काल प्रभाव से दो महीने के लिए कोचिंग सेंटरों पर परीक्षाओं पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए हैं इस साल की शुरुआत से अब तक 23 बच्चे अपनी जीवन लीला समाप्त कर चुके हैं, लेकिन प्रशासन अब जाकर हरकत में आया है।
इस बीच आज प्रशासन ने एक और बड़ा कदम उठाया है और तत्काल प्रभाव से दो महीने के लिए कोचिंग सेंटरों पर परीक्षाओं पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए हैं इस साल की शुरुआत से अब तक 23 बच्चे अपनी जीवन लीला समाप्त कर चुके हैं लेकिन प्रशासन अब जाकर हरकत में आया है।
सबसे ज्यादा किस महीने में हुई मौत
बीते आठ महीने में कोटा के कोचिंग संस्थाओं में यूपी-बिहार समेत कई राज्यों से पढ़ने आए 23 बच्चों ने पढ़ाई के बोझ में दबकर जान दे दी है। सबसे ज्यादा 7 आत्महत्या के मामले अगस्त और जून महीने में आए हैं वहीं जुलाई में 2 औक मई में 5 आत्महत्या के मामले आए हैं।
कोई पंखे से लटका तो कोई हॉस्टल से कूदा
कोटा के कई हॉस्टलों से बच्चों के आत्महत्या के मामले सामने आए हैं सबसे ज्यादा मामले पंखे से लटककर जान देने के आए हैं कई बच्चों ने तो हॉस्टल की छत से कूदकर ही जान दे दी सबसे चौंकाने वाला मामला 14 जून का था जब महाराष्ट्र से आए माता-पिता के मिलने के तुरंत बाद ही छात्र ने आत्महत्या कर ली थी।
क्यों आत्महत्या कर रहे बच्चे
छात्रों के आत्महत्या करने के पीछे का सबसे बड़ा कारण पढ़ाई का बोझ और बढ़ती प्रतिस्पर्धा भी है इसके पीछे बच्चे के माता-पिता को भी वजह माना जाता है।
कई विशेषज्ञों का तो यहां तक कहना है कि माता-पिता बच्चों को खुद किसी से दोस्ती न करने की हिदायत देते हैं और उन्हें अपना प्रतिस्पर्धी मानने को बोलते हैं।
बच्चों में आपस में दोस्ती न होने की वजह से वो कोई भी बात शेयर नहीं करते और गलत कदम उठा लेते हैं
सालों से तैयारी करने और कोचिंग संस्थाओं में लाखों की फीस भरने के बावजूद जब बच्चों का सिलेक्शन नहीं होता है तब भी बच्चे सुसाइड जैसा कदम उठा लेते हैं।
परिजनों में डर का माहौल
छात्रों की मौत के मामले बढ़ने से अब हॉस्टल में रह रहे बाकी बच्चों के माता-पिता के मन में भी डर का माहौल पैदा हो गया है कुछ माता-पिता तो अब अपने बच्चों को कोटा भेजने से भी घबरा रहे हैं।