MP में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का अटैक:रीवा में संक्रमित सूअरों को मारने के आदेश, 13 दिन में 2200 सूअरों की मौत
MP में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का अटैक:रीवा में संक्रमित सूअरों को मारने के आदेश, 13 दिन में 2200 सूअरों की मौत
असम व नागालैंड के रास्ते मध्यप्रदेश के रीवा शहर पहुंचे अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने कहर ढाना शुरू कर दिया है। आलम है कि वायरस के अटैक से 13 दिनों के अदंर 2200 सूअरों की मौत हो गई है। एहतियात के तौर पर प्रशासन ने पशु चिकित्सा विभाग के साथ बैठक कर संक्रमित सूअरों को वैक्सीन लगाकर मारने के आदेश दिए हैं।
साथ ही सूअर पालकों को महामारी से निजात और आर्थिक नुकसानी नहीं हो, इसके लिए पशुपालन विभाग ने मुआवजे का ऐलान किया है। दावा है कि सूअर मालिकों को 100 रुपए से लेकर 150 रुपए किलो वजन के हिसाब से मुआवजा राशि दी जाएगी। सूअर पालकों को रोजगार मुहैया कराने की व्यवस्था भी शासन-प्रशासन स्तर से की जा रही है।
कैसे हुई वायरस की खोज
पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक डॉ. राजेश मिश्रा ने बताया कि शहर में सूअरों की लगातार हो रही मौत के बाद वार्ड क्रमांक-15 से 11 सूअरों के सैंपल 14 अगस्त को कलेक्ट किए गए। 15 अगस्त को सैंपल भोपाल भेजा गए, 16 अगस्त को पहुंचे। 17 और 18 अगस्त तक भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान में सैंपल जांचे गए। 19 अगस्त को जानलेवा अफ्रीकन स्वाइन फीवर नाम के वायरस की पुष्टि हुई। गौरतलब है कि यह वायरस असम, नागालैंड, उत्तर प्रदेश के बाद अब मध्यप्रदेश के रीवा में कहर बरपा रहा है। 23 अगस्त को इस वायरस की दस्तक उत्तराखंड में होने की बात सामने आई है।
शहर में 15 हजार सूअरों की संख्या
दावा है कि अफ्रीकन स्वाइन फीवर का प्रकोप अभी शहरी क्षेत्र के सूअरों में हुआ है। सर्वे के मुताबिक रीवा शहर में 15 हजार सूअर है। वहीं, अगर ग्रामीण क्षेत्र के सूअरों को शामिल कर दिया जाए तो 15 से 30 हजार तक संख्या पहुंच जाती है। हालांकि अभी संक्रमण सिर्फ 300 से 500 सूअरों में फैला है, जिनको क्रमशः वैक्सीन लगाकर मारा जा रहा है।
300 मारने के आदेश
रीवा शहर में 15 हजार के आसपास सूअरों की संख्या है। जिसमें अकेले वार्ड- 15 से जुड़े 14, 25, 26 वार्ड में 8 से 10 हजार सूअर हैं। सूत्रों की माने तो हाल ही के कुछ दिनों में वार्ड-15 में 300 सूअरों को मारने के आदेश दिए गए हैं। 23 अगस्त को 12 सूअरों का मारा भी गया है।
….तो सूअर विहीन हो जाएगा रीवा जिला
चिकित्सकों का दावा है कि चिह्नित सूअरों की बस्ती में डोर टू डोर सर्वे किया जा रहा है। अफ्रीकन स्वाइन फीवर वाले सूअरों में तेज बुखार, उल्टी और सांस लेने में तकलीफ दिखाई देती है। लक्षण मिलने पर उन्हें अन्य सूअरों से अलग कर वैज्ञानिक विधि से इंजेक्शन द्वारा मारा जा रहा है। जिला प्रशासन ने सूअर पालकों से इस कार्य में सहयोग की अपील की है। चिकित्सकों ने कहा, यदि संक्रमित सूअरों को नष्ट नहीं किया गया तो सभी सूअर इसके शिकार हो जाएंगे।
रेड जोन में रतहरा बंसल बस्ती
रीवा का वार्ड-15 अफ्रीकन स्वाइन फीवर का हॉटस्पॉट बना हुआ है। बताया गया कि रतहरा बंसल बस्ती के 90 फीसदी सूअर वायरस की चपेट में हैं। इसे रेड जोन बनाकर एक किमी के दायरे में सभी सूअरों की जांच की जा रही है। स्वस्थ्य सूअरों को रोग से बचाव के लिए वैक्सीन लगाई जा रही है।
अभी 4 वार्डों पर प्रशासन का फोकस
डॉ. राजेश मिश्रा ने कहा कि शहर का वार्ड-15 डेंजर जोन में है, जबकि वार्ड-14, वार्ड-25 और वार्ड-26 के 90 से 95 फीसदी सूअर वायरस के चपेट में हैं। बचे हुए 41 वार्डों के सूअरों का सैंपल दूसरे चरण में लिया जाएगा।
इन क्षेत्रों में भी मरे सूअर
सूअर पालकों का दावा है कि रीवा शहर के धोबिया टंकी, बिछिया नदी, नारायण चक्की, पांडेन टोला में भी काफी संख्या में सूअरों की मौत हुई है। यहां वार्ड – 28, 29, 38, 40, 41 और 42 वाला इलाका मुख्य रूप से हैं। इसी तरह वार्ड – 16, 21, 23, 30, 31, 32, 44 और 45 में भी सूअरों के मौत की चर्चा है।
संक्रमण से मृत सूअरों को उठाने के लिए 8 वाहन रिजर्व
नगर निगम द्वारा अफ्रीकन स्वाइन फीवर के अटैक से मृत सूअरों को उठाने के लिए 8 वाहन रिजर्व किए गए हैं। बताया जा रहा है कि 8 अगस्त से मृत सूअरों को उठाने का सिलसिला शुरू हुआ, जिसके बाद से लगातार यह सिलसिला चल रहा है। नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी की माने तो कुठुलिया क्षेत्र में सभी को दफनाया जा रहा है।