MP एक दिन में सात नीतियों को मिली मंजूरी,MSME की 3 अहम नीतियां क्यों अटकी,CM मोहन का है ड्रीम प्रोजेक्ट
मध्यप्रदेश में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को लेकर 11 विभागों ने 21 नीतियां बनाई, लेकिन एमएसएमई विभाग की तीन अहम नीतियां अटक गई, जिससे समिट की तैयारी प्रभावित हो रही है।
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MP News: मध्यप्रदेश सरकार निवेशकों को आकर्षित करने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट को झटका लग सकता है। भोपाल में 24 और 25 फरवरी को होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए 11 विभागों ने 21 नई नीतियां तैयार की हैं।
जिनमें से सात को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 11 फरवरी को मंजूरी मिल चुकी है। लेकिन एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) विभाग की तीन अहम नीतियां अभी भी लंबित हैं, जबकि इस विभाग की भूमिका इन्वेस्टर्स समिट में बेहद महत्वपूर्ण है।
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एमएसएमई की नीतियां क्यों अटकीं?
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार उद्योग नीति को सरल और प्रभावी बनाने के लिए काम कर रही है। इसी कड़ी में स्टार्टअप पॉलिसी, एमएसएमई डेवलपमेंट पॉलिसी और एमएसएमई लैंड अलॉटमेंट पॉलिसी को 11 फरवरी की कैबिनेट बैठक में पेश किया जाना था, लेकिन ये प्रस्ताव वित्त विभाग में अटक गए। आमतौर पर सरकार की प्राथमिकता वाले प्रोजेक्ट्स पर वरिष्ठ अधिकारी विशेष ध्यान देते हैं, लेकिन एमएसएमई की नीतियों को लेकर ऐसा नहीं हुआ। अब इन्हें अगली कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा, लेकिन तब तक इन्वेस्टर्स समिट सिर पर आ जाएगी, जिससे निवेशकों को लुभाने की सरकार की रणनीति प्रभावित हो सकती है।
अधिकारियों की बेरुखी से प्रभावित हो रहा काम
इस देरी की सबसे बड़ी वजह एमएसएमई विभाग की प्रमुख सचिव प्रियंका दास का उदासीन रवैया माना जा रहा है। उनकी पोस्टिंग लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी (LBSNAA) में हो चुकी है, लेकिन चीफ सेक्रेटरी अनुराग जैन ने उन्हें इन्वेस्टर्स समिट को ध्यान में रखते हुए अभी तक रिलीव नहीं किया है। इसका असर विभाग के कार्यों पर पड़ रहा है। जब पूरी सरकार इन्वेस्टर्स समिट की तैयारी में जुटी है, तब एमएसएमई विभाग की सुस्ती लालफीताशाही को उजागर कर रही है।
क्यों महत्वपूर्ण हैं ये तीनों नीतियां?
1. स्टार्टअप पॉलिसी – नई स्टार्टअप नीति के तहत सरकार उद्यमियों को फंडिंग की प्रक्रिया आसान बना रही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा स्टार्टअप्स को आर्थिक मदद मिल सके और वे अपने व्यापार को बढ़ा सकें।
2. एमएसएमई डेवलपमेंट पॉलिसी – इस नीति के जरिए छोटे और मध्यम उद्योगों को सरकारी प्रोत्साहन और सब्सिडी प्रदान की जाएगी, जिससे प्रदेश में औद्योगिक विकास को बल मिलेगा।
3. एमएसएमई लैंड अलॉटमेंट पॉलिसी – यह नीति जमीन आवंटन को लेकर नई छूट और ट्रांसफर की सुविधा प्रदान करेगी। अब तक इंडस्ट्री के लिए आवंटित जमीन को बेचा नहीं जा सकता था, लेकिन नई नीति के तहत यह संभव होगा, जिससे उद्यमियों को अधिक स्वतंत्रता मिलेगी।
एमएसएमई क्यों है मध्यप्रदेश के लिए अहम?
मध्यप्रदेश सरकार स्टार्टअप्स और लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है।
वर्तमान में 2168 स्टार्टअप्स महिलाएं संचालित कर रही हैं।
प्रदेश में 4500 से अधिक स्टार्टअप और 70 इनक्यूबेटर हैं।
भोपाल में विशेष स्टार्टअप केंद्र बनाया गया है।
बीते दो वर्षों में मध्यप्रदेश में स्टार्टअप्स की संख्या में 150% की वृद्धि हुई है।
भारत सरकार की स्टार्टअप रैंकिंग में मध्यप्रदेश को लीडर श्रेणी में स्थान मिला है।
इस तरह, मध्यप्रदेश निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन रहा है। लेकिन अगर एमएसएमई विभाग की नीतियां कैबिनेट से पास होने में और देरी हुई, तो सरकार की तमाम कोशिशों पर पानी फिर सकता है। अब देखना यह होगा कि अगली कैबिनेट बैठक में इन प्रस्तावों को मंजूरी मिलती है या फिर ये योजनाएं फाइलों में ही धूल खाती रह जाएंगी।