बाढ़ राहत में लापरवाही: रीवा, सतना और झाबुआ जिलों में प्रशासन की संवेदनहीनता उजागर
CM ने रीवा, सतना, झाबुआ के कलेक्टरों को लगाई फटकार, कहा – राहत कार्यों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी

मध्यप्रदेश में हाल की बारिश और बाढ़ के हालात ने कई जिलों में प्रशासन की तैयारियों की असल तस्वीर सामने ला दी है। जहां कई जिलों ने राहत कार्यों में तत्परता दिखाई, वहीं रीवा, सतना और झाबुआ जैसे जिलों में लापरवाही उजागर हुई।
रीवा में टूटी सड़क, सतना में देर से मिली जानकारी
रीवा जिले में बाढ़ के कारण एक मुख्य सड़क टूट गई, जिससे ग्रामीणों को गंभीर खतरा हुआ, लेकिन प्रशासन ने समय पर आसपास के गांवों को जानकारी नहीं दी। लोग उसी सड़क से निकलते रहे और जान जोखिम में डालते रहे। वहीं सतना जिले में राहत कार्य तो किए गए, लेकिन लोगों तक इसकी जानकारी काफी देर से पहुंची।
झाबुआ में बड़ा खुलासा, मौतों को बताया बाढ़ में बहना
झाबुआ में हालात और भी चौंकाने वाले रहे। यहां प्रशासन ने जिन 10 नागरिकों की मौत पानी में डूबने से हुई, उन्हें ‘बाढ़ में बह जाना’ बताकर मामले को हल्का दिखाने की कोशिश की।
मुख्यमंत्री ने जताई सख्त नाराज़गी
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इन जिलों के कलेक्टरों को सख्त चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “लोगों की जान की कीमत है। हर हाल में सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए। राहत कार्यों में लापरवाही नहीं चलेगी।”
राहत और बचाव के लिए व्यापक इंतजाम
सरकार ने NDRF की दो टीमें भोपाल में, जबकि एक-एक टीम जबलपुर, ग्वालियर और धार में तैनात की हैं। साथ ही, SDERF की टीमें भी अलग-अलग जिलों में तैनात हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में मोटर बोट, लाइफ जैकेट, लाइट्स और फर्स्ट-एड किट जैसी जरूरी चीजें उपलब्ध कराई गई हैं।
त्योहारों के मद्देनज़र सतर्कता के निर्देश
सीएम ने अधिकारियों से कहा कि आने वाले त्योहारों में विशेष सावधानी बरती जाए। सामाजिक संस्थाओं को भी राहत शिविरों के प्रबंधन में जोड़ा जाए और संभावित बाढ़ प्रभावित नदियों के जलस्तर पर निगरानी रखी जाए।
उपस्थित रहे वरिष्ठ अधिकारी
बैठक में राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा, कृषि मंत्री एदल सिंह कंषाना, मुख्य सचिव अनुराग जैन, डीजीपी कैलाश मकवाना सहित कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।