रीवा

संजय गांधी अस्पताल की लापरवाही: खुले में पड़ा मेडिकल वेस्ट बना जानलेवा खतरा

संजय गांधी अस्पताल, रीवा में खुले में पड़ा मेडिकल वेस्ट बना जनस्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा, लापरवाही से बढ़ा संक्रमण का जोखिम, एनजीटी नियमों का भी उल्लंघन जारी

रीवा, मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र का प्रमुख स्वास्थ्य केंद्र संजय गांधी अस्पताल एक बार फिर लापरवाही के कारण चर्चा में है। अस्पताल परिसर के पीछे बड़ी मात्रा में मेडिकल वेस्ट यानी जैविक चिकित्सा कचरा खुले में फैला हुआ मिला है, जो सीधे तौर पर जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन चुका है।

मेडिकल वेस्ट प्रबंधन के नियमों की अनदेखी

नियमों के अनुसार इस खतरनाक कचरे को वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जाना चाहिए था, लेकिन संबंधित एजेंसी की अनदेखी और अस्पताल प्रशासन की उदासीनता के चलते यह कचरा लंबे समय से खुले में पड़ा हुआ है। इसमें संक्रमित सिरिंज, खून से सने कॉटन, ब्लड बैग्स और नुकीले औजार शामिल हैं, जो गंभीर बीमारियों को जन्म देने वाले हो सकते हैं।

जानवरों और बच्चों पर मंडरा रहा संक्रमण का खतरा

यह कचरा न केवल जानवरों द्वारा खाया जा रहा है, बल्कि आसपास के बच्चे भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। इससे हेपेटाइटिस बी, एचआईवी और टिटनेस जैसी गंभीर बीमारियों का फैलाव हो सकता है। यह स्थिति इस बात की गवाही देती है कि या तो जिम्मेदार एजेंसी अपना काम सही से नहीं कर रही या फिर इसमें बड़े स्तर पर लापरवाही और भ्रष्टाचार छिपा है।

सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग

सरकार द्वारा करोड़ों रुपये की लागत से बनाई गई बायोमेडिकल वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट का उपयोग ना करना सीधे तौर पर संसाधनों के दुरुपयोग और जनजीवन के साथ खिलवाड़ के समान है। जब ऐसा प्लांट रीवा में मौजूद है, तो वेस्ट को खुले में फेंकना अपराध की श्रेणी में आता है।

एनजीटी और पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) और शासन द्वारा बनाए गए पर्यावरण नियमों के तहत मेडिकल और केमिकल वेस्ट को खुले में फेंकना पूरी तरह प्रतिबंधित है। फिर भी संजय गांधी अस्पताल इस नियम की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा है। इससे वातावरण में जहरीले तत्व घुल रहे हैं और मानसून के समय बीमारियों के फैलाव का खतरा कई गुना बढ़ गया है।

प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग

अब जनता और सामाजिक कार्यकर्ता इस मुद्दे पर गंभीरता से आवाज उठा रहे हैं और जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस लापरवाही के लिए अस्पताल के डीन, सुपरिटेंडेंट और संबंधित एजेंसी को जिम्मेदार माना जा रहा है।

मेडिकल वेस्ट का ऐसा गैर-जिम्मेदाराना प्रबंधन न सिर्फ स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलता है, बल्कि भविष्य में जानलेवा महामारी का कारण बन सकता है। प्रशासन को तुरंत संज्ञान लेते हुए इस पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि जनता का स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षित रह सके।

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