रीवा

अब खेतों में नहीं उठेगा धुआं: रीवा में नरवाई जलाने पर लगेगा कानून का डंडा

रीवा जिले में अब प्रदूषण पर लगेगा लगाम, अब खेतों में नरवाई जलाने पर होगी सख्ती—सरकार ने जारी किए सख्त आदेश

पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब खेतों में फसल कटाई के बाद बची नरवाई (फसल अवशेष) को जलाना किसानों को भारी पड़ सकता है। 2017 में पर्यावरण विभाग द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के निर्देशों के तहत नरवाई जलाने पर सख्त प्रतिबंध लगाया गया है।

नरवाई जलाने पर होगा दंड

नरवाई जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए स्पष्ट आदेश जारी कर दिए गए हैं। यदि कोई किसान फसल अवशेष जलाते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसमें जुर्माना और अन्य कानूनी कार्रवाई शामिल हो सकती है।

यह फैसला पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोकने के उद्देश्य से लिया गया है, क्योंकि नरवाई जलाने से वायु प्रदूषण अत्यधिक बढ़ता है और इससे इंसानों व पशुओं दोनों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है।

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जिला और अनुभाग स्तर पर बनी निगरानी समितियां

आदेश के पालन को सुनिश्चित करने के लिए जिला और अनुभाग स्तर पर समितियों का गठन किया गया है। जिला स्तर पर अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है, जबकि अनुभाग स्तर पर उप-संभागीय अधिकारी (SDM) की अध्यक्षता में निगरानी समिति बनाई गई है। ये समितियां यह सुनिश्चित करेंगी कि क्षेत्र में कोई भी किसान नियमों का उल्लंघन न करे।

स्थानीय अधिकारियों को सौंपी गई जिम्मेदारियां

हर खंड स्तर पर नायब तहसीलदार, कृषि विस्तार अधिकारी और थाना प्रभारी को निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है। ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे पटवारियों के साथ मिलकर नरवाई जलाने की घटनाओं का प्रतिवेदन तैयार करें और उसे तहसीलदार को सौंपें। इसके बाद तहसीलदार उन मामलों की जांच करके एसडीएम के माध्यम से अंतिम निर्णय हेतु रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।

सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश

जिला कलेक्टर ने पुलिस अधीक्षक, सभी अनुविभागीय दण्डाधिकारी (राजस्व), तहसीलदारों और कृषि विभाग के अधिकारियों को इस आदेश के सख्त पालन के निर्देश दिए हैं। इससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर स्तर पर उचित कार्रवाई हो और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके।

समापन विचार

सरकार का यह कदम केवल किसानों को दंडित करने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें जागरूक करने और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनाने की दिशा में है। आवश्यकता है कि सभी मिलकर इस अभियान को सफल बनाएं और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ व सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करें।

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