अब जिलों में प्रभारी मंत्री के निर्णय से होगा कार्य, कलेक्टर लेते थे पहले फैसला
मध्य प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान विशेष अधिकारों से लैस कलेक्टरों को अब हर फैसला मंत्री की मंजूरी के बाद लेना होगा। सीएम डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में मंत्रियों को जिलों की जिम्मेदारी सौंपी है। अब जिला स्तर पर कौन सा विकास कार्य पहले होगा और कौन सा बाद में यह प्रभारी मंत्री तय करेंगे। कलेक्टरों और कमिश्नरों को अब तक जो स्वतंत्रता प्राप्त थी, वह प्रभारी मंत्रियों के सक्रिय हस्तक्षेप से खत्म हो गई है। नई व्यवस्था में जिला योजना समितियां प्राथमिकताएं तय करेंगी और प्रभारी मंत्रियों के पास विकास योजनाओं को मंजूरी देने का अधिकार होगा।
इस नई प्रणाली का उद्देश्य जिला विकास कार्यों में राजनीतिक नेतृत्व और जवाबदेही बढ़ाना है। अब कलेक्टरों को कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले प्रभारी मंत्री से परामर्श करना होगा, जिससे विकास कार्यों में अनुशासन और संगठनात्मक समन्वय सुनिश्चित होगा। पिछले डेढ़ साल में कोई जिम्मेदार मंत्री नहीं होने से जिले की पूरी व्यवस्था कलेक्टर और कमिश्नर संभाल रहे थे। अब प्रभारी की नियुक्ति के बाद जिले की सरकारी व्यवस्था फिर से शुरू हो गयी है।