“राम राजा की नगरी ओरछा बनेगी विश्व पर्यटन का रत्न”
"Ram Raja's city Orchha will become a gem of world tourism"

मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक नगरी ओरछा अब वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान बनाने जा रही है। ‘राम राजा सरकार’ की नगरी के रूप में प्रसिद्ध ओरछा में अब आधुनिक पर्यटन सुविधाओं का व्यापक विकास किया जा रहा है। केंद्र सरकार की ‘स्वदेश दर्शन योजना 2.0’ के तहत ओरछा में 25 करोड़ रुपए की लागत से पर्यटन अधोसंरचना को संवारा जा रहा है। इससे न केवल इस नगर की ऐतिहासिक विरासत को संजोया जाएगा, बल्कि स्थानीय कलाकारों और कारीगरों को भी नए अवसर प्राप्त होंगे।
योजना के तहत ओरछा को एक आकर्षक आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां पर्यटक धार्मिक अनुभव के साथ-साथ ऐतिहासिक धरोहर, लोक संस्कृति और हस्तशिल्प से भी रूबरू हो सकेंगे।
पर्यटन अनुभव केंद्र (Tourism Experience Centre)
तोपची की हवेली के समीप एक अत्याधुनिक अनुभव केंद्र बनाया जाएगा, जिसमें ओरछा का थ्री-डी मॉडल, ऐतिहासिक विवरण वाले पैनल्स, बुकिंग कियोस्क, कैफे और बच्चों के लिए खेल क्षेत्र शामिल होंगे।
हुनरशाला (Skill Hub)
स्थानीय कारीगरों को प्रशिक्षण देकर उन्हें उत्कृष्ट उत्पाद तैयार करने का मंच दिया जाएगा। यहां पर्यटक न केवल लोक कलाओं की खरीदारी कर सकेंगे, बल्कि उन्हें बनते हुए देख और स्वयं बनाने का भी अनुभव ले सकेंगे। एक ओपन एयर एम्फीथिएटर भी विकसित किया जाएगा जहां लोक कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे।
यात्रा पथ का सौंदर्यीकरण
ओरछा की ऐतिहासिक गलियों और रास्तों को सजाया-संवारा जाएगा। इनमें रंग-बिरंगे आर्च, छज्जे, रोशनी, साइनेज और पर्यटकों के लिए विश्राम स्थल शामिल होंगे। मार्ग के किनारे छोटे स्टेज बनाए जाएंगे जहां सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी।
तकनीकी सुविधाएं
पर्यटकों को आसान और समृद्ध अनुभव देने के लिए हिप ऑन-हिप ऑफ बस सेवा, ऑडियो गाइड सिस्टम, वेबसाइट और QR आधारित वॉक एप भी तैयार किया जाएगा।
विरासत संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम
ओरछा को 2027-28 तक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित कराने की दिशा में प्रयास जारी हैं। इसके तहत शहर की सड़कों, पुलों, मंदिरों और संग्रहालयों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। साथ ही, प्रोजेक्शन मैपिंग, हेरिटेज पेंटिंग, ई-कार्ट सुविधा, चार्जिंग स्टेशन और आधुनिक शौचालय जैसी सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी।
नया अध्याय, नई पहचान
ओरछा का यह कायाकल्प इसे सिर्फ धार्मिक नगर ही नहीं, बल्कि एक समग्र सांस्कृतिक पर्यटन स्थल में बदल देगा। इससे न केवल देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय लोगों को भी नए रोजगार और व्यवसाय के अवसर मिलेंगे।