Diesel Price: कच्चे तेल के दामों में पिछले कुछ दिनों से इजाफा देखने को मिल रहा है. हालांकि इस इजाफे के बावजूद देश में ईंधन की कीमतें स्थिर बनी हुई है. पिछले करीब एक महीने से पेट्रोल और डीजल के दाम में इजाफा नहीं हुआ है, लेकिन इसके कारण तेल कंपनियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
कच्चे तेल के बढ़े दाम
पेट्रोल और डीजल के दाम आखिरी बार मई के महीने में चेंज हुए थे. आखिरी बार 21 मई को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव हुआ था. इसके बाद सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है. हालांकि इस दौरान कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी हुई है. जिसके कारण तेल कंपनियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
सरकार को लिखा पत्र
ईंधन की खुदरा बिक्री करने वाली निजी क्षेत्र की जियो-बीपी और नायरा एनर्जी जैसी कंपनियों को डीजल की बिक्री पर प्रति लीटर 20 से 25 रुपये और पेट्रोल पर 14 से 18 रुपये का नुकसान हो रहा है. वहीं इन कंपनियों ने पेट्रोलियम मंत्रालय को इस बारे में पत्र लिखा है और सरकार से एक व्यवहार्य निवेश वातावरण बनाने के लिए कदम उठाने की मांग की है.
सिमट गया निवेश
फेडरेशन ऑफ इंडियन पेट्रोलियम इंडस्ट्री (FIPI) ने 10 जून को पेट्रोलियम मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखी है. इसमें कहा गया है कि पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर नुकसान से खुदरा कारोबार में निवेश सिमट जाएगा. बता दें कि एफआईपीआई निजी क्षेत्र की कंपनियों के अलावा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (HPCL) को अपने सदस्यों में गिनता है.
उच्चतम स्तर पर कीमतें
वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल और इसके उत्पादों की कीमतें लगातर बढ़ती हुई देखी गई है. इनके दाम एक दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं. हालांकि सरकारी ईंधन खुदरा विक्रेताओं ने पेट्रोल और डीजल कीमतों को फ्रीज किया हुआ है. बता दें कि सरकारी कंपनियों का ईंधन खुदरा कारोबार में 90 फीसदी का हिस्सा है. वहीं वर्तमान वक्त में ईंधन के दाम लागत के दो-तिहाई पर बने हुए हैं. जिस कारण निजी कंपनियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
ग्राहक गंवाने का संकट
इसके कारण कई कंपनियों के आगे संकट की स्थिति बन गई है. इसके कारण जियो-बीपी, रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी और शेल के समक्ष या तो कीमतें बढ़ाने या अपने ग्राहक गंवाने का संकट बन गया है.
औसतन इतने बढ़े दाम
बता दें कि नवंबर 2021 की शुरुआत और 21 मार्च 2022 के बीच कच्चे तेल की कीमतों में इजाफे के बाद भी रिकॉर्ड 137 दिन तक पेट्रोल और डीजल के लिए खुदरा बिक्री मूल्य में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई थी. वहीं 22 मार्च 2022 से 14 मौकों पर हर रोज औसतन 80 पैसे प्रति लीटर की दर से ईंधन की कीमतें बढ़ाई गई थी, जिससे पेट्रोल और डीजल दोनों के दामों में 10 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हुआ था.
हो रहा है नुकसान
FIPI महानिदेशक गुरमीत सिंह ने चिट्ठी में लिखा है, ‘प्राइवेट कंपनियों को लागत से कम मूल्य पर ईंधन की बिक्री (अंडर-रिकवरी) से डीजल पर प्रति लीटर 20-25 रुपये और पेट्रोल पर प्रति लीटर 14-18 रुपये का नुकसान हो रहा है.’ वहीं बड़ी संख्या में थोक खरीदार खुदरा आउटलेट से खरीद कर रहे हैं जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों का नुकसान और बढ़ रहा है. वहीं चिट्ठी में सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की गई है.