
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर सरकार पर दबाव बनाते हुए कहा है कि जातिगत जनगणना देश के सामाजिक संतुलन और विकास के लिए बेहद जरूरी है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब तक जातिगत जनगणना नहीं होती, कांग्रेस पीछे हटने वाली नहीं है। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि अब अगला कदम 50% आरक्षण सीमा को खत्म करने की दिशा में होगा, ताकि हकदारों को पूरा न्याय मिल सके।
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राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी के पुराने बयानों को याद दिलाते हुए कहा कि पहले पीएम कहते थे देश में सिर्फ चार जातियां हैं, लेकिन अब सरकार ने जातिगत जनगणना की घोषणा कर दी है। कांग्रेस इस निर्णय का स्वागत करती है, मगर मांग करती है कि इसकी स्पष्ट टाइमलाइन तय की जाए — कब तक यह जनगणना पूरी होगी, जनता को यह जानने का हक है।
सरकार को देंगे डिजाइनिंग में सहयोग
राहुल गांधी ने आगे बताया कि कांग्रेस सरकार को इस जनगणना की योजना तैयार करने में पूरा सहयोग देने को तैयार है। उन्होंने बिहार और तेलंगाना के मॉडल का जिक्र करते हुए कहा कि विशेष रूप से तेलंगाना ने एक ठोस ब्लूप्रिंट पेश किया है, जो देशभर में लागू किया जा सकता है।
नए भारत के निर्माण की बात
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि इस जातिगत जनगणना से सिर्फ यह नहीं पता चलेगा कि ओबीसी, दलित और आदिवासी आबादी कितनी है, बल्कि यह भी उजागर होगा कि देश की संस्थाओं और सत्ता ढांचे में इनकी कितनी भागीदारी है। इससे देश में एक समावेशी विकास का मार्ग खुलेगा।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में अनुच्छेद 15(5) के तहत निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने की बात कही थी और अब सरकार से इस दिशा में त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
आतंकियों को मिले करारा जवाब राहुल गांधी
अपने भाषण में राहुल गांधी ने पहलगाम आतंकी हमले का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने कानपुर में पीड़ित परिवार से मुलाकात की, जिनका बेटा इस हमले में मारा गया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि आतंकियों को करारा जवाब दिया जाए। चाहे वे जहां भी हों, उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी। उन्होंने पीएम मोदी से मांग की कि इस मामले में सख्त एक्शन लिया जाए। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि पूरे विपक्ष का इस मुद्दे पर सरकार को पूरा समर्थन है।
निष्कर्ष और सार
राहुल गांधी का यह बयान न केवल सामाजिक न्याय की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि यह राजनीतिक तौर पर भी सरकार पर दबाव बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है। जातिगत जनगणना और आरक्षण की सीमाओं पर बहस अब और तेज होती दिख रही है।