रीवा

रीवा-मिर्जापुर रेल लाइन का सपना चकनाचूर,अब तक विंध्यवासियों के लिए है एक सपना,खर्च हो चुके ₹680 करोड़

रीवा-मिर्जापुर रेल लाइन का सपना चकनाचूर,अब तक विंध्यवासियों के लिए है एक सपना,खर्च हो चुके ₹680 करोड़ सांसद और जनप्रतिनिधि अब तक चुप्पी साधे हुए है।

Rewa-Mirzapur Rail Line: अगर आपको नौटंकी देखने का शौक है, तो रीवा के जनप्रतिनिधियों की राजनीति जरूर देखनी चाहिए। ये नेता जनता के मनोरंजन का पूरा ख्याल रखते हैं—कोई विरोधियों की तस्वीरें पोत रहा है, कोई मच्छरदानी लेकर बाघ पकड़ने निकल रहा है, तो कोई अधिकारियों के पैर पकड़ रहा है। लेकिन जब बात जनता की असली जरूरतों की आती है, तब सभी चुप्पी साध लेते हैं।

रीवा-मिर्जापुर रेल लाइन का मामला पिछले 30 वर्षों से केवल वादों और घोषणाओं के दौर से गुजर रहा है। बड़े-बड़े चुनावी वादों के बावजूद, यह परियोजना अब तक अधर में लटकी हुई है। जनता हर बार नेताओं पर भरोसा करके वोट डालती है, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात।

800 करोड़ का बजट, पर रेल लाइन अब भी अधूरी

रीवा-मिर्जापुर रेल लाइन का सर्वे और डीपीआर तैयार करने के लिए 800 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था। 2017-18 में इस परियोजना के लिए 80 करोड़ रुपये खर्च करके 171 किमी का फाइनल सर्वे भी किया गया था। रेलवे के पास इस परियोजना का पूरा खाका तैयार है, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई।

CM मोहन यादव बोले-BJP सरकार देगी 27% OBC आरक्षण,AG जल्द सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में करे आवेदन!

जनता को वादों से बहलाने की राजनीति

रीवा के सांसद जनार्दन मिश्रा को क्षेत्र में स्वच्छता अभियानों और शौचालय निर्माण के लिए जाना जाता है, लेकिन 11 वर्षों से सांसद रहने के बावजूद वे इस महत्वपूर्ण परियोजना को आगे नहीं बढ़ा पाए। जब भी चुनाव नजदीक आते हैं, तो नेता इस परियोजना की बातें करते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद इसे भुला देते हैं।

रीवा को वंचित क्यों रखा जा रहा है?

हाल ही में जारी केंद्रीय बजट में मध्य प्रदेश को रेलवे की कोई महत्वपूर्ण परियोजना नहीं मिली। रीवा-मिर्जापुर रेल लाइन को लेकर जनता को उम्मीद थी कि इस बार इसे हरी झंडी मिलेगी, लेकिन इसका जिक्र तक नहीं हुआ। दूसरी ओर, सीधी के सांसद राजेश मिश्रा ने प्रयागराज-मऊगंज-सीधी रेलवे लाइन के लिए जोरदार मांग उठाई और उसे बजट में शामिल करवा लिया। यह बताता है कि राजनीतिक सक्रियता से ही विकास संभव है।

क्या विपक्ष भी जिम्मेदार है?

रीवा और मऊगंज जिले में विपक्ष की भूमिका लगभग समाप्त हो चुकी है। विपक्ष के नेता चुनाव से चार साल तक चुप रहते हैं और फिर आखिरी साल में सक्रिय होकर सत्ता पक्ष की आलोचना शुरू कर देते हैं। अगर विपक्ष ने समय पर इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया होता, तो शायद अब तक रीवा-मिर्जापुर रेल लाइन की कोई प्रगति होती।

रीवा के विकास की असली जरूरत

अगर यह रेल लाइन बन जाती है, तो हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा, व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, और क्षेत्र की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इससे क्षेत्र के लोग बेरोजगारी से छुटकारा पाकर आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

आपकी राय क्या है?

रीवा-मिर्जापुर रेल लाइन को लेकर आपकी क्या राय है? क्या आपको लगता है कि यह परियोजना राजनीतिक नौटंकी की भेंट चढ़ गई है? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं।

समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button